कभी शहीद करकरे को लेकर तो कभी बाबरी ढ़ाचे को लेकर तो अब दिग्विजय सिंह पर दिए गए विवादास्पद बयानों ने उन्हें कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।
वहीं अब उनके सुर्खियों में बने रहने के बीच ही एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी साध्वी के समर्थन में अपना नामांकन वापस ले लिया है।
ऐसे में हर कोई यह जानने को आतुर है कि आखिर साध्वी लगातार ऐसे बयान क्यों दे रहीं हैं, जो कहीं न कहीं से चुनावों में उनको नुकसान करते हुए दिख रहे हैं।
वहीं जानकारों की भी माने तो ऐसे में ये सवाल जायज है कि क्या साध्वी केवल अपने प्रताडनाओं के एवज में अपने को शब्दों में परिभाषित कर रही हैं, या इसके पीछे भी कोई बड़ी रणनीति काम कर रही है।
शहीद करकरे पर आए उनके बयान को लेकर एक ओर जहां हर ओर उनकी आलोचना हो रही है, वहीं एक तबका ऐसा भी है जो मानता है कि उनके उपर हुई प्रताडनाओं के चलते वे इसका मुख्य दोषी करकरे व उनकी टीम को मानती हैं। जिसके चलते उनकी ओर से ऐसा बयान दिया गया।
वहीं दूसरी ओर बाबरी ढांचे को लेकर उनका बयान काफी हद तक भाजपा के पक्ष का बयान है, जिसके तहत वे स्वयं तो चर्चा में आ ही रही हैं वहीं इसी के पीछे से भाजपा पुन: राममंदिर का पत्ता सामने लाने की कोशिश कर रही है। जानकारों की माने तो भाजपा राम मंदिर को लेकर पूरी तरह से सामने नहीं आई तो शायद इसी तरह से वो इस मुद्दे को हवा देकर चुनाव से पहले जनता के सामने प्रचारित कर रही है।
इसके साथ ही अब दिग्विजय पर बयान को जहां साध्वी के चुनाव से जोड़ा जा रहा है, वहीं इसका कारण कहीं न कहीं कांग्रेस के उपरी नेतत्व को निशाने पर लाने का भी रहा है। साथ ही अपने उपर हुए केस का दोषी कहीं न कही साध्वी दिग्विजय को ही मानती हैं।
वहीं कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि चुकिं साध्वी राजनीति में कोई बहुत बड़ा नाम नहीं है, जबकि भोपाल सीट भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है, ऐसे में वे राजनीति में जमे रहने व अपना नाम सुर्खियों में लाने के लिए भी कर सकतीं हैं।
ऐसे समझें पीछे की रणनीति…
साध्वी के तमाम विवादास्पद बयानों को लेकर राजनीति के जानकार डीके शर्मा कहते हैं। कि सबसे पहले तो ये समझ लें कि साध्वी को आखिर भाजपा ने प्रत्याशी बनाया क्यों, शर्मा सहित कई राजनीति के जानकारों के अनुसार साध्वी को प्रत्याशी बनाने के पीछे का सबसे बड़ा कारण शायद चुनाव आयोग रहा।
दरअसल आयोग की सख्ती के कारण कई ऐसी चीजें भाजपा खुले में नहीं कह पाई जो उसे कहीं न कहीं परेशान कर रहीं थी। इनमें राम मंदिर मुद्दा, कन्हैया का चुनाव में उतरने,हिंदुत्व का चेहरा, आतंकवाद को लेकर कांग्रेस को कटघरे में लाना।
शर्मा कहते हैं कि ऐसा लगता है कि इसी सब को सामने लाने के लिए भाजपा की ओर से साध्वी को मैदान में उतारा गया।
: दरअसल भाजपा जानती थी कि साध्वी को चुनाव में उतारने से उनके विरोधी एक आरोपी को चुनाव में लाने की बात आगे लाएंगे, ऐसे में भाजपा के पास यदि कन्हैया चुनाव लड़ सकता है तो साध्वी क्यों नहीं का मुद्दा उसे और मजबूत बनाता। इसके अलावा कहीं न कहीं ये ही मुद्दा कांग्रेस व महागठबंधन के उपर सीधे सवाल दागने में भी मदद करता।
: वहीं करकरे के मामले में शर्मा के अनुसार इस मुद्दे ने सोच से ज्यादा गर्मी ले ली, ऐसा लगता है कि इसके पीछे से भाजपा कांग्रेस सरकार के कामकाज पर हमला करना चाहती थी। दरअसल ये हमला करकरे पर नहीं बल्कि उस दौरान सत्ता पर रही सरकार यानि कांग्रेस के लिए था, कि वो कैसे अधिकारियों पर दबाव बना कर लोगों को फंसाने का काम करती थी। लेकिन इससे पहले की ये मुद्दा शुरू होता उसके पहले ही इस रणनीति की हवा निकल जाने से इस मामले में यू टर्न लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
: बाबरी पर साध्वी का बयान भी कहीं न कहीं रणनीति से जुड़ा ही दिखता है। शर्मा के अनुसार जहां भाजपा अब तक राम मंदिर को इस चुनाव में भुना नहीं पाई है। वहीं राम मंदिर मुद्दे को पुन: गरम करने व हिंदुत्व को सामने लाने के तहत एक ओर जहां साध्वी को चुनाव मैदान में उतारा गया है। वहीं उनके बयान ने एक बार फिर राम मंदिर मुद्दे को गर्म करने का प्रयास किया है।
: साध्वी द्वारा दिग्विजय सिंह पर दिए गए बयान को भी शर्मा एक रणनीति का ही हिस्सा मानते हैं, उनके अनुसार साध्वी ने जानबुझकर दिग्विजय पर हमला किया। एक तो वे उनके सामने चुनाव मैदान में हैं, दूसरा वे इस बयान में हिंदुत्व मुद्दे के साथ ही कांग्रेस का सहयोग आतंकवाद के साथ दिखाने की कोशिश करती दिखी। दरअसल पिछले दिनों से भगवा आतंकवाद शब्द को लेकर भाजपा व उससे जुड़ी कई संस्थाएं परेशन बनी हुई है।
ऐसे में साध्वी का ये बयान इस रणनीति के तहत सामने आया लगता है, जहां वे अपनों को बचाते हुए कांग्रेस पर ही हमला कर उन्हें ही आतंकवाद का सहयोगी बताने की कोशिश करती दिखी। वहीं इसमें वे कांग्रेस द्वारा मासूमों को फंसाने व भगवा आतंकवाद को गलत बाते हुए दिग्विजय सिंह और कांग्रेस को ही कटघरे में लाने की रणनीति पर चलती दिखीं।
ये बोलीं थीं साध्वी…
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि मैं कभी विवादों में नहीं रही, मेरे खिलाफ साजिश रची गई। मालेगांव बम विस्फोट में गिरफ्तार किए जाने के बाद प्रताड़ित किया गया। रात-रात भर पीटा जाता था, मुझे कई-कई दिन सिर्फ पानी के सहारे निकालने पड़े हैं।’ पुलिस प्रताड़ना का जिक्र करते समय प्रज्ञा ठाकुर की आंखों से आंसू बह निकले।
उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहतीं कि अब कोई दूसरी बहन इस तरह से प्रताड़ित हो। वह इस चुनाव में वोट की भिक्षा मांग रही हैं, जब आप यह भिक्षा दे देंगे, तो मानिए आपने राष्ट्र रक्षा के ऋण से मुक्त होने का प्रयास कर लिया।
वहीं तमाम तरह के विवादों के बीच शुक्रवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के समर्थन में निर्दलीय प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर ने अपना नामांकन वापस ले लिया। निर्दलीय प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर आज सुबह भाजपा की भोपाल लोकसभा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के घर पहुंची, यहां उन्होंने ने साध्वी प्रज्ञा के समर्थन में नाम वापस लेने और प्रचार करने की बात कही।