राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय उनके दायित्वों में सामाजिक सरोकारों को शामिल करें। विश्वविद्यालयों की गतिविधियों में कुछ गांवों को गोद लेकर, उनमें केन्द्र एवं राज्य शासन की योजनाओं के लाभ हितग्राही तक पहुंचाने में सहयोग करे। स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, कृषि, स्वास्थ परीक्षण आदि विषयों पर कार्य किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों के अधिनियमों के प्रावधानों में विभिन्नता होने से पूरी कार्यशैली में अंतर हो जाता है। कार्यशैली में यथासम्भव एकरूपता के लिए विश्वविद्यालयों के अधिनियमों का पुनरावलोकन किया जाये, उसमें अपेक्षित सुधार भी किए जाएं।
आर्थिक प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत – उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इसी शिक्षा सत्र से अंगीकृत किया जा रहा है। नीति की मंशा के साथ कदम ताल करते हुए प्रथम वर्ष की तैयारी पूरी हो गई है। केन्द्रीय अध्ययन मंडल द्वारा 79 विषयों का पुनर्गठन किया गया है। प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में समग्र दृष्टि के साथ कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने विश्वविद्यालयों को आर्थिक प्रबंधन पर ध्यान देने की जरुरत बताई। वित्तीय संसाधनों में वृद्धि के प्रयास किए जाने चाहिए। रिक्त पदों पर शीघ्रता से भर्ती करने और विश्वविद्यालयों की शुल्क एवं अर्थदंडों की व्यवस्था में भी एकरुपता लाने की जरुरत बताई। बैठक के प्रारम्भ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन ने बैठक के एंजेंडे का बिन्दुवार प्रस्तुतिकरण दिया।