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अधिकारियों के लिए सरकार का ‘फरमान’, खड़े होकर करना होगा जनप्रतिनिधियों का स्वागत

अब सांसद विधायक किसी भी दफ्तर पहुंचेंगे तो अधिकारी को सीट से उठकर करना होगा स्वागत

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अधिकारियों के लिए सरकार का 'फरमान', खड़े होकर करना होगा जनप्रतिनिधियों का स्वागत

अधिकारियों के लिए सरकार का 'फरमान', खड़े होकर करना होगा जनप्रतिनिधियों का स्वागत

भोपाल/ कुछ ऐसा ही आदेश वल्लभ भवन से चला है। जिसके जरिये मध्य प्रदेश के सभी विभागों को सूचित किया गया है कि, अब जब भी कोई संसद सदस्य या विधायक किसी भी अधिकारी या कर्मचारी से मिलने उनके दफ्तर पहुंचेंगे। तो ये उनका पहला कर्तव्य है कि उन्हें सबसे पहले अपनी कुर्सी से उठकर जनप्रतिनिधी का स्वागत करना होगा। यही नहीं, अब इन अधिकारी-कर्मचारियों को प्रदेश के सभी जिलों के सांसदों और विधायकों से अपने व्यवहार में भी सुधार लाना होगा।

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सूची में दिया गया ये आदेश

आदेश में कही गई है ये बात

सरकार द्वारा जारी सूची में उपरोक्त संदर्भित ज्ञापनों द्वारा समय समय पर संसद सदस्यों तथा विधायकों के पत्रों को पावती देने, उनके पत्रों पर कार्यवाही कर निर्धारित समय में उसका उत्तर देने, शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सौहार्दपूर्ण व्यवहार करने, उन्हें सार्वजनिक समारोह और कार्यक्रमों में आमंत्रित करने के साथ साथ उनसे मिलने वाले पत्रों के लिए पृथक पंजी संधारित करने के संबंध में निर्देश जारी किये गए हैं।

सूची के माध्यम से प्रदेश के सभी अफसरों-कर्मचारियों को निर्देश दिये गए हैं कि, राज्य शासन के निर्देशों का संबंधित विभागों द्वारा कड़ाई से पालन ना करने की सूचनाएं मिल रही हैं। जिससे जनप्रतिनिधियों को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में परेशानी होती है। साथ ही, इससे शासन की छवि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।

सूची के माध्यम से दिये गए निर्देशों के अनुक्रम में खासतौर पर इस बात पर जोर दिया गया है कि, जब भी कोई संसद सदस्य या विधायक किसी अधिकारी या कर्मचारी से मिलने आते हैं, तो संबंधित अधिकारी को अपनी सीट से उठकर उनका स्वागत करना चाहिए। साथ ही अधिकारियों को उनके साथ शिष्टाचार बरतना चाहिए।

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क्यों पड़ी इस आदेश की जरूरत

बता दें कि, सरकार द्वारा इस तरह का आदेश जारी करने की आखिर जरूरत क्यों पड़ी। दरअसल, कई बार सांसदों और विधायकों की ओर से ऐसी शिकायतें सामने आई हैं कि, कई अधिकारियों का रवैय्या उनसे ठीक नहीं है, उनका आदर नहीं करते। अधिकारी उनके पत्रों पर तय समय में कार्यवाही नहीं करते, जिसकी वजह से कई काम अवरुद्ध होते हैं। समय पर काम ना हो पाने से सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ता है।