हालांकि, अबूझ मुहूर्त के कारण 22 जनवरी बसंत पंचमी पर कुछ विवाह हुए थे, लेकिन शुक्र उदय के बाद विवाह कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। पिछले डेढ़ माह से अधिक समय से विवाह कार्यों पर विराम लगा हुआ है। 14 दिसम्बर से 15 जनवरी तक खरमास होने के कारण विवाह मुहूर्त नहीं थे। इसी के साथ शुक्र अस्त भी था, जिसके कारण भी मुहूर्त जनवरी माह में नहीं थे।
– पूरे साल 65 दिन रहेंगे मुहूर्त फरवरी से जुलाई तक लगातार शादियों का सिलसिला चलता रहेगा। मां चामुंडा दरबार के पं. रामजीवन दुबे और ज्योतिषाचार्य विनोद रावत ने बताया कि पूरे साल में 65 दिन शादियों के शुभ मुहूर्त रहेंगे। फरवरी माह में 13 दिन सर्वाधिक लग्न मुहूर्त हैं। १४ मार्च से १४ अप्रैल तक खरमास होने के कारण विवाह नहीं होंगे।
वहीं, मई और जून में अधिकमास के कारण दो ज्येष्ठ रहेंगे। फरवरी माह में 13 दिन, मार्च में 11 दिन अप्रैल में 10 दिन, मई में 9 दिन ,जून में 10 दिन और जुलाई में आठ दिन शादियां रहेगी। इसके बाद चातुर्मास के कारण चार माह शादियां नहीं होगी, नवम्बर में शुक्र अस्त होने के कारण शादियां नहीं होगी, वहीं दिसम्बर में चार मुहूर्तों में शादियां होगी।
विवाह कार्यों के लिए गुरु-शुक्र का उदित होना जरूरी पं. विष्णु राजौरिया ने बताया कि विवाह कार्यों के लिए देवगुरु बृहस्पति और दैत्य गुरु ? शुक्राचार्य दोनों का उदित होना अनिवार्य माना गया है। गुरु बल और शुक्र बल देखकर ही विवाह कार्य होते हैं। अगर दोनों में से एक भी ग्रह अस्त हैं, तो इस स्थिति में विवाह कार्य नहीं किए जाते हैं। गुरु बल विवाह के बाद संतान सुख, सामाजिक और धार्मिक क्रियाकलापों में सफलता, समृद्धि प्रदान करता हैं। वहीं, शुक्र बल दाम्पत्य जीवन में सुख, जीवन में समृद्धिकारक वस्तुओं को प्रदान करता है, इसलिए इन दोनों गुरुओं के बल से ही वैवाहिक जीवन सफल होता है।