गायन से पहले मैंने गुरूजी प्रशांत पाण्डव से तबला बजाना सीखा था। लेकिन, मुझे वादन से ज्यादा गायन पसंद है। पिताजी कहते हैं अगर संगीत आपकी आत्मा में हैं तो वो सुनने वाले के दिल को जरूर छूता है। पिताजी बारीकियों से मुझे अवगत कराते हैं और मेरे संगीत को निखारने में मदद करते हैं।