
भोपाल. उत्तर-मध्य भारतीयों को एसिडिटी, गैस बनना और अल्सर जैसी समस्याएं ज्यादा होती हैं। क्योंकि ये भारतीय व्यंजन की जगह पिज्जा,बर्गर जैसे भोजन को तरजीह देते हैं। इसीलिए दक्षिण भारत की तुलना में मप्र,बिहार और यूपी में पेट के कैंसर रोगी ज्यादा मिलते हैं। यह खुलासा राजधानी में आयोजित पर सही इलाज नहीं मिलने पर कैंसर जैसे गंभीर रोग की चपेट आ सकता है। इन गंभीर समस्याओं से बचना है तो भारतीय भोजन को जरूरी डाइट में शामिल करना शुरू कर दें। फास्टफूड और तली-भुने खाद्य पदार्थ पेट से जुड़े रोगों के कारण बन सकते हैं। यह बातें वे राजधानी में आयोजित बिग अपडेट 24 कॉन्फ्रेंस में आए देश के प्रमुख गैस्ट्रो एंट्रोलॉजिस्ट ने बतायीं।
मुंबई के प्रमुख गैस्ट्रो एंट्रोलॉजिस्ट डॉ. विनय धीर और सिकंदराबाद के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. पवन के अडाला ने बताया कि दक्षिण से उत्तर मध्य की ओर बढऩे पर गालब्लैडर, आंत, लिवर और पैंक्रियाज के नजदीकी अंगों से जुड़े कैंसर के मामलों में वृद्धि होती चली जाती है। जितने मामले दक्षिण में सालभर में आते हैं उतने मध्यभारत में डेढ़ से दो माह में ही आ जाते हैं। फिजिकल एक्टिविटी और भारतीय भोजन के सेवन से पेट संबंधी गंभीर रोगों से बचा जा सकता है। क्योंकि ये एंटीऑक्सिडेंट समेत कई तरह का पोषण शरीर को पहुंचाते हैं।
एंडोस्कोपी से पकड़ में आएगा कैंसर
जापान के चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ मिलकर भारतीय चिकित्सक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं कि एंडोस्कोपी की जांच में ही गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी यानी पेट व आसपास के अंगों के कैंसर की पहचान हो सके। क्योंकि जापान में कैंसर मरीज की पहचान रूटीन एंडोस्कोपी के दौरान ही हो जाती है।
पेट संबंधी समस्या दो हफ्ते से अधिक तो डॉक्टर से मिलें
एसिडिटी, गैस और अल्सर जैसी समस्याओं का समय रहते समुचित इलाज जरूरी हैं। क्योंकि आगे चलकर यह बीमारी आंत के कैंसर का कारण बनती हैं। यदि वजन घटना, भूख न लगना, खून आना और कोई अन्य ऐसे लक्षण दो हफ्ते से ज्यादा हंै तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इससे कैंसर से बच सकते हैं।
डॉ. विनय धीर, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, मुंबई
Published on:
07 Apr 2024 01:04 am
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