
osho
भोपाल। ओशो यानि रजनीश, मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा गांव में जन्मा एक ऐसा शख्स, जिसने 60 के दशक में लाखों लोगों को अपना अनुयायी बना लिया। ओशो के तर्कों का किसी के पास कोई जवाब नहीं था। अपने पूर्वजन्म के बारे में सब कुछ जानने का दावा करने वाले ओशो के अनुयायी उन्हें भगवान मानते हैं। ओशों के भाषणों और वक्तव्यों को सुनकर लोग आज भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, तो उनके खिलाफ उठे कई सवाल भी समय के साथ आगे बढ़ते चले जा रहे हैं। चाहे वे ओशो की जीवनशैली से जुड़े हों या फिर उनके आश्रमों को लेकर, कई बातें ऐसी हैं जिनके बारे में लोग हमेशा ही और जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।
अब ओशो से जुड़ी कई ऐसी बातें जो शायद हम और आप नहीं जानते हैं, जल्द ही सामने आने वाली हैं। ओशो पर जल्द ही एक फिल्म बनने जा रही है, जिसमें बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ओशो के किरदार में नजर आएंगे। हिन्दी सिनेमा में बायोपिक का सीजन चल रहा है, और इसीलिए ओशो का जीवन रुपहले पर्दे पर आने को तैयार है।
(ओशो के सानिध्य में स्व. विनोद खन्ना)
हालांकि यह भी माना जा रहा है कि ओशो की इस फिल्म के साथ ही कई ऐसी बातें भी सामने आ सकती हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। हालांकि ओशो ने अपने जीवित रहते हुए यह कहा था कि यदि कभी जिंदगी पर फिल्म बने तो उसमें जीवन के घटनाक्रमों का हिस्सा केवल 30 फीसदी हो और मेरा संदेश 70 फीसदी, लेकिन इस फिल्म से लोग कुछ और ही उम्मीद लगाए हुए हैं। ओशो के संदेश और उनके बातें पहले भी कई बार फिल्मों और डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा बनकर सामने आ चुकी हैं, लेकिन यह पहली बार होगा कि जब ओशो पर ही एक कमर्शियल फिल्म बने। ऐसे में इस बात की सम्भावना ज्यादा है कि ओशो की जिंदगी के घटनाक्रम खुलकर लोगों के सामने रखे जाएं।
ओशो के लाखों अनुयायी दुनियाभर में फैले हुए हैं। ओशो की जिंदगी जितने रहस्यों से भरी हुई है, उतनी ही विवादास्पद और दिलचस्प भी है। एक प्रोफेसर से भगवान रजनीश बनने तक का ओशो का सफर कई मायनों में आश्चर्यचकित करने वाला रहा है। आमिर के साथ ही इस फिल्म में आलिया के भी शामिल होने से निश्चित तौर पर यह फिल्म अपनी घोषणा के साथ ही बड़ी फिल्मों में शुमार हो जाएगी। हाल ही में नेटफिल्क्स पर भी ओशो को लेकर एक डॉक्यू ड्रामा रिलीज हुआ था, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया था।
मध्यप्रदेश में जन्मे, यहीं से शुरू हुआ था आध्यत्म का सफर
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक स्थित रायसेन जिले के कुचवाड़ा में जन्मे चंद्रमोहन जैन के रजनीश और फिर ओशो बनने का सफर यहीं से शुरू हुआ था। दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर रजनीश सागर यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। उस समय जब सागर यूनिवर्सिटी मकरोनिया स्थित बेरिकों में संचालित होती थी, तब ओशो रात में ध्यान करने पहाडिय़ों पर चले जाते थे। ओशो घर में ग्यारह भाई-बहन थे, जिसमें ओशो ही थे जो अपनी मां को भाभी कहते थे तथा अपनी नानी को मां कहकर पुकारते थे।
1970 में ओशो कुछ समय के लिए मुंबई में रुके और उन्होंने अपने शिष्यों को 'नव संन्यास' की शिक्षा दी और अध्यात्मिक मार्गदर्शक की तरह कार्य प्रारंभ किया। अपने उपदेशों में उन्होंने पूरे विश्व के रहस्यवादियों, फिलॉसफर और धार्मिक विचारधाराओं को नया अर्थ दिया। 1974 में 'पूना' आने के बाद उन्होनें अपने 'आश्रम' की स्थापना की, यहां पर भी विदेश से आने वाले शिष्यों की संख्या बढ़ गई, जिसके बाद वह अमेरिका चले गए। अमेरिका में ही रजनीश के शिष्यों और अनुयायियों ने रजनीशपुरम की स्थापना की।
Published on:
02 Jul 2018 05:53 pm
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