वहीं सूत्रों के अनुसार काटे गए 5 मौजूदा सांसदों के चलते भाजपा में बगावत या यूं कहें भितराघात की स्थिति भी पैदा होने का डर बना हुआ है। कारण जिन्हें टिकट मिला उनमें भी कई ऐसे नेता थे, जिनके मामले में पार्टी का अंदरूनी सर्वे और फीडबैक खिलाफ था। ऐसे में माना जा रहा था कि प्रदेश के लगभग 16 सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं, लेकिन फिलहाल पांच के ही टिकट काटे गए हैं।
भाजपा की ओर से जिन 5 मौजूदा सांसदों के टिकट काटे गए हैं, उनमें मुरैना सांसद अनूप मिश्रा, भिंड सांसद भागीरथ प्रसाद, उज्जैन सांसद चिंतामणि मालवीय,शहडोल सांसद ज्ञानसिंह,बैतूल सांसद ज्योति ध्रुवे शामिल हैं। वहीं एक मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की सीट ग्वालियर से बदलकर मुरैना कर दी गई है।
(2014 ग्वालियर से): क्यों बदली सीट: ग्वालियर में तोमर को हार का खतरा था, अंतर्कलह भी कारण।
1. संध्या राय, भिंड : क्यों मिला टिकट: पूर्व विधायक, पिता प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं, महिला चेहरा, संघ की पंसद। 2. हिमाद्री सिंह, शहडोल: क्यों मिला टिकट: कांग्रेस से तीन दिन पहले भाजपा में आई, माता-पिता दोनों सांसद रहे, क्षेत्र में वर्चस्व।
इन 10 पर फिर जताया भरोसा…
वहीं जबलपुर से राकेश सिंह, टीकमगढ़ से वीरेंद्र खटीक,दमोह से प्रहलाद पटेल, सतना से गणेश सिंह, रीवा सेजनार्दन मिश्रा,सीधी से रीति पाठक, खंडवा से नंदकुमार चौहान, मंडला से फग्गन सिंह कुलस्ते, होशंगाबाद से उदयप्रताप सिंह और मंदसौर से सुधीर गुप्ता पर भाजपा की ओर से फिर भरोसा जताते हुए 2019 के चुनावों में प्रत्याशी बनाया गया है।
एक टिकट ये भी: जानिये टिकट कटने की कहानी…
भाजपा की ओर से इस बार एक पैराशूट उम्मीदवार को भी टिकट दिया है, दरअसल चुनावी माहौल में कांग्रेस छोड़कर आई हिमाद्रि सिंह को शहडोल से प्रत्याशी बनाया है।
हिमाद्रि कांग्रेस की संभावित प्रत्याशी थी, अब उनके दल बदलने से कांग्रेस भी यहां प्रत्याशी को लेकर खाली हाथ बताई जाती है। ऐसे में कांग्रेस उनके विरुद्ध दमदार प्रत्याशी की तलाश में है।
जबकि शहडोल से मौजूदा सांसद ज्ञान सिंह का टिकट काटा गया है। हाई कोर्ट ने ज्ञानसिंह के उपचुनाव को शून्य घोषित कर दिया था, जिसके चलते पार्टी को डर था कि कहीं आगे अयोग्यता जैसा कोई कानूनी पेंच न फंस जाए। इसी कारण ज्ञान सिंह का टिकट कट गया, वहीं स्थानीय फीडबैक के बाद से ही उनके टिकट काटे जाने की चर्चा थी।
मुरैना से इस बार अनूप मिश्रा की जगह नरेंद्र तोमर चुनाव लड़ेंगे। मिश्रा विधानसभा चुनाव भी लड़े थे लेकिन हार गए थे। वहीं ग्वालियर में ख़तरा महसूस करते हुए तोमर ने अपनी सीट बदल ली है। जबकि अभी ग्वालियर सीट का फैसला नहीं हुआ है, और बताया जाता है कि ग्वालियर से अनुप को टिकट दिया जा सकता है।
वहीं इस बार खंडवा सीट से दावेदारी कर रही पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को झटका लगा है। जबकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अपनी टिकट बचाने में कामयाब रहे। विधानसभा चुनाव के बाद से ही दोनों नेताओं के बीच दावेदारी को लेकर जमकर खींचतान चल रही थी। निर्दलीय प्रत्याशी से हारी चिटनीस को आख़िरकार टिकट नहीं मिला।
इसके अलावा ज्योति धुर्वे जाति प्रमाण मामले में घिरी हुई हैं। जिसके चलते उनका टिकट कटा है।
वहीं बीजेपी की एक और मजबूत गढ़ वाली सीट भिंड पर भी बदलाव किया गया है। यहां से मौजूद सांसद भागीरथ प्रसाद का क्षेत्र में भारी विरोध था जिसके चलते उनका टिकट कट गया। पार्टी ने पूर्व विधायक संध्या राय को प्रत्याशी बनाया है। संध्या राय वैसे तो मुरैना जिले के दिमनी की रहने वाली है, वर्तमान में महिला मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर भी हैं और क्षेत्र में अच्छी सक्रियता है।
डॉ. भागीरथ प्रसाद जो वर्तमान सांसद है उनका टिकट कटा है, वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे और भाजपा से चुनाव जीते थे। वे पहला चुनाव कांग्रेस से हार गए थे उन्हें मुरैना मेयर अशोक अर्गल ने हराया था। इस बार भिंड से अशोक अर्गल को भी टिकट मिलने की प्रबल संभावना थी, लेकिन उन्हें भी टिकट लेने में सफलता नहीं मिली।
वहीं जानकारों की मानें तो टिकट कटने से कुछ मौजूदा सांसदों में नाराजगी है, ऐसे में वे अंदरुनी तौर पर पार्टी के लिए परेशानी का कारण भी बन सकते हैं। वहीं पार्टी अब किस तरह से इन्हें खुश रखती है ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
दरअसल सूत्रों के अनुसार जिस आधार यानि अंदरूनी सर्वे और फीडबैक पर टिकट काटे गए हैं, उनमें निगेटिव रिपोर्ट के चलते 16 सांसदों के टिकट कटने की बात थी, लेकिन चर्चा है कि जिन्हें टिकट मिला उनमें भी कई ऐसे नेता थे, जिनके मामले में पार्टी का अंदरूनी सर्वे और फीडबैक खिलाफ था। ऐसे में पार्टी से कुछ नेता अंदरुनी तौर पर नाराज हो गए हैं। जो भाजपा के लिए आने वाले चुनाव में परेशानी का कारण बन सकते हैं।
जानकारों की मानें तो वहीं दूसरी ओर भोपाल सीट सहित कुछ और जगहों पर प्रत्याशी टिकट को लेकर भी कई दिग्गज नाराज बने बैठे हैं। ऐसे में कुल मिलाकर प्रदेश में कई जगह भाजपा के लिए भितरघात का खतरा बना हुआ है।