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MP ELECTION 2018 : सियासी वादे के बाद सरकार के लिए बड़ी चुनौती

MP ELECTION 2018 : सियासी वादे के बाद मध्यप्रदेश की नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती

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winning party in mp elections 2018 big problem

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भोपाल. प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुए सियासी वादों का सीधा असर किसानों और उन्हें कर्ज देने वाली बैंकों पर हुआ है। नतीजा- किसानों ने कर्ज चुकाना ही बंद कर दिया और सहकारी बैंकों की वसूली 90 फीसदी तक गिर गई। कांग्रेस ने चुनाव के छह महीने पहले ही किसानों की कर्जमाफी का दावं चल दिया था, जिसके कारण वसूली का आंकड़ा धीरे-धीरे घटता चला गया।

आंकड़ों के अनुसार, कर्जमाफी की घोषणा से पहले प्रदेश के किसान हर महीने 3000 करोड़ रुपए तक कर्ज चुका रहे थे। छह महीने बाद यह आंकड़ा 261 करोड़ पर आ गया है। वसूली के ये घटते आंकड़े बताते हैं कि किसानों में कर्जमाफी की उम्मीद बढ़ी है। जानकारों के अनुसार कांग्रेस की सरकार बनती है तो कर्जमाफी का वादा पूरा करने में करीब 18 हजार करोड़ का बोझ सरकारी खजाने पर आएगा।

जून में किया था ऐलान

राहुल गांधी ने 6 जून 2018 को मंदसौर में कांग्रेस की सरकार आने पर 10 दिन में कर्ज माफी का सबसे पहले ऐलान किया था। तब जून 2018 में सरकार ने 3084.22 करोड रुपए कर्ज वसूला था। जुलाई 2018 में वसूली घटकर 1804.86 और नवंबर में महज 261.10 करोड़ रुपए रह गई।

सियासी वादे...

कांग्रेस ने घोषणापत्र में किसानों के 2 लाख तक का कर्जा माफ करने का वादा किया है। इस घोषणा को पूरा करने में करीब 16 हजार करोड़ के बोझ का अनुमान है। लेकिन इसमें यदि केवल डिफॉल्टर किसान और तय मापदंडों के हिसाब से किसानों को लिया गया तो यह कर्ज माफी 10 हजार करोड़ तक सिमट सकती है।

अन्य राज्यों में भी कर्ज माफी के चुनावी दावं

राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने राज्य का पिछला बजट पेश करते हुए लघु एवं सीमांत किसानों का 50 हजार रुपए तक का कर्ज और ब्याज ओवरड्यू माफ किए जाने का ऐलान किया था। वहीं योगी सरकार भी कर्जमाफी का ऐलान कर चुकी है। योगी सरकार ने अपने पहले बजट में ही किसानों की कर्ज माफी का ऐलान कर दिया था। कर्नाटक, हरियाणा और पंजाब में भी चुनाव के समय कर्ज माफी के दांव चले जा चुके हैं।

जहां किसान आंदोलन चरम पर वहां घटी वसूली कि सान आंदोलन की धुरी मंदसौर, नीमच और किसान आंदोलन के दौरान पुलिस लॉकअप में कपड़े उतार कर पिटाई वाले जिले टीकमगढ़ में वसूली घटी है। इन तीनों जिलों में भी किसानों ने कर्ज माफी की उम्मीद पर बकाया चुकाना कम कर दिया है।

दिग्गजों के क्षेत्रों में जमकर वोटिंग

चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में खूब वोटिंग हुई है। कमलनाथ के छिंदवाड़ा जिले में 80.92 फीसदी वोटिंग हुई। कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के जिले बालाघाट में 80.62 फीसदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सीहोर जिले में 83.08 फीसदी वोटिंग हुई।

सरकार की कर्ज समाधान योजना फेल

सरकार ने वसूली को बढ़ाने के लिए ऋण समाधान योजना लागू की थी। इसमें 17 लाख डिफॉल्टर किसानों का ब्याज माफ होना है। इन पर 6000 करोड़ रुपए का कर्ज और करीब ढाई हजार करोड़ का ब्याज बकाया है। करीब 25 हजार करोड़ पुराना बकाया है।

नई सरकार के सामने वित्तीय प्रबंधन बड़ी चुनौती : मलैया

वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा, नई सरकार के सामने वित्तीय प्रबंधन बड़ी चुनौती रहेगी। उन्होंने मीडिया से कहा, प्रदेश का राजस्व मुश्किल में सरप्लस हुआ है। कर्ज माफी जैसी घोषणाओं से यह खत्म हो जाएगा। कांग्रेस की सरकार बनी तो वह कर्ज माफ नहीं कर पाएगी। वे पंजाब, कर्नाटक में ऐसा नहीं कर पाए तो यहां क्या करेंगे।

कर्जमाफी का रोडमैप तैयार: बच्चन

कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बाला बच्चन का दावा है कि राहुल गांधी के वादे के अनुरूप रोडमैप तैयार है। इसके सारे रास्ते पहले से सोचे गए हैं, इसलिए भाजपा इसकी चिंता न करे। मध्यप्रदेश में करीब 85 लाख किसान हैं। इनमें से 58 लाख कर्ज के दायरे में हैं। डिफॉल्टर किसान करीब 17.03 लाख हैं, जिन पर 8849 करोड़ रुपया बकाया है।