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महिलाओं को बुर्के में देखकर डर लगता है, जंतु की तरह दिखती हैं

स्वामी अग्निवेश बोले, मुस्लिम समाज आगे आकर खुद करे प्रतिबंध की पहल

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swami agnivash

भोपाल। सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निेवेश ने कहा कि महिलाओं को बुर्के में देखकर लगता है कि वे महिला नहीं कोई जंतु हैं। उन्हें बुर्के में देखकर डर भी लगता है। इस पर प्रतिबंध जरूरी है। इसके लिए मुस्लिम समाज के लोगों को आगे आकर सहयोग करना चाहिए। रविवार को भोपाल में मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने यह बात कही। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह का खुलकर समर्थन करते हुए भाजपा और आरएसएस पर जमकर हमला बोला।

लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर ने भी हाल ही में बुर्के के साथ घंूघट पर प्रतिबंध की बात कही थी। अब अग्निवेश ने बुर्के पर प्रतिबंध की मांग दोहराते हुए एक कदम आगे बुर्के से डर लगने की बात कह दी।

महिलाओं के घूंघट पर भी एतराज जताते हुए उन्होंने कहा कि महिलाएं सरपंच तक बन जाती हैं लेकिन घूंघट पहनकर बैठती हैं और उनके पति सरपंचगिरी करते हैं। यह उचित नहीं है। असल में श्रीलंका में बुर्के पर प्रतिबंध लगने के बाद पूरे देश में इस मुद्दे पर बहस छिड़ी है। इसको लेकर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

भाजपा को वोट देना, शहीद करकरे की शहादत का मजाक उड़ाने जैसा -

अग्निवेश ने कहा कि देश में यदि कोई भाजपा को वोट देता है तो उसका सीधा मतलब है कि वह शहीद हेमंत करकरे की शहादत का मजाक उड़ा रहा है।

इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि भोपाल से भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर शहीद करकरे की शहादत का अपमान करते हुए बयानबाजी करती हैं लेकिन भाजपा एक्शन नहीं लेती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह बताना चाहिए कि करकरे यदि शहीद नहीं हैं तो वे फिर उनके परिजनों से मिलने क्यों गए थे। उन्होंने प्रत्याशी के तौर पर प्रज्ञा का चयन दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साध्वी प्रज्ञा पर आतंकवाद के आरोप हैं।

ट्रायल अभी खत्म नहीं हुआ लेकिन बीजेपी ने उन्हें भोपाल लोकसभा से प्रत्याशी बना दिया। इससे साफ है भाजपा आंतक को खत्म नहीं उसे पनाह देने का काम कर रही है। एक अन्य सवाल पर उन्होंने प्रज्ञा को संत मानने से इंकार करते हुए कहा कि संत का स्वभाव हिंसा का नहीं समदर्शी होता है, लेकिन प्रज्ञा में ऐसा नहीं है।