
World Brain Tumour Day: बिगड़ती आबो-हवा, तनावपूर्ण जीवन शैली और बिगड़ते खान-पान की वजह से ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। केमिकल्स और रेडिएशन भी ब्रेन ट्यूमर के रिस्क को बढ़ा रहे हैं। अकेले भोपाल के अस्पतालों में ही साल 2023 में 12 सौ से ज्यादा ब्रेन ट्यूमर सर्जरी हुई। 432 ऑपरेशन एम्स, भोपाल में हुए। यह आंकड़ा पांच साल पहले 20 फीसदी कम था। साल 2018 में भोपाल में लगभग साढ़े नौ सौ ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी हुई थी।
डॉ. सुमित राज के अनुसार ब्रेन ट्यूमर का कोई खास कारण अभी तक पता नहीं चला है। लेकिन, लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहने से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है। जबकि, बच्चों में मस्तिष्क कैंसर का दूसरा सबसे आम कारण ब्रेन ट्यूमर है।
ब्रेन ट्यूमर सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाली बीमारियों में से एक है। इसमें अत्याधिक सिरदर्द होता है। और व्यक्तित्व में परिवर्तन आने की वजह से संतुलन बनाने में कठिनाई होती है।
एम्स और हमीदिया के आंकड़े बताते हैं 45 फीसदी नॉन-कैंसरस और 55 फीसदी कैंसर वाले ट्यूमर होते हैं। एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. सुमित राज के अनुसार यदि ट्यूमर में कोशिकाएं सामान्य हैं तो यह सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) हो सकता है। और कोशिकाएं असामान्य और अनियंत्रित रूप से बढऩे वाली हैं, तो ये कैंसर वाली कोशिकाएं हैं।
लो ग्रेड ट्यूमर की समय पर पहचान हो तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। हाई ग्रेड ट्यूमर में ठीक होने की संभावना कम होती है। ट्यूमर ग्रेड पता करने के लिए इम्यून हिस्टो केमेस्ट्री जांच जरूरी है। इसकी सुविधा दिल्ली या बैंगलुरू जैसे महानगरों में है। एम्स, भोपाल में गामा नाइफ तकनीक से मरीजों के इलाज की सुविधा नहीं है। हमीदिया की गामा कैमरा मशीन अभी बंद है।
● सिर दर्द
● दौरे पडऩा
● उल्टी आना
● चक्कर आना
● शरीर में कंपन
● हाथ-पैर लडखड़ाना
● कान में घंटी बजना,
● हार्मोनल असंतुलन
● आंखों की रोशनी प्रभावित होना
बीमारी की शुरुआती दौर में पहचान से मरीज को लाभ मिलता है। बीमारी को लेकर कई भ्रांतियां भी है। देश में हर साल लगभग 28 हजार लोग ब्रेन ट्यूमर का शिकार होते हैं।
-डॉ.अजय सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल
Published on:
08 Jun 2024 10:31 am
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