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ययाति ने बताया-नाजुक रिश्तों में छोटी सी भूल भी खतरनाक

शहीद भवन में नाटक यताति का मंचन

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शहीद भवन में नाटक यताति का मंचन

भोपाल. प्रभात गांगुली राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव के तहत शहीद भवन में नाटक ययाति का मंचन हुआ। निर्देशन बालेंद्र सिंह बालू ने किया। इस नृत्य नाटिका में हम थिएटर ग्रुप के कलाकारों ने अभिनय किया। इसमें बताया कि पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास जरूरी है। एक छोटी सी भूल से पति-पत्नी का रिश्ता टूट कर बिखर जाता है। लेखन गिरीश कर्नाड का रहा। ययाति और देवयानी की कथा से पति-पत्नी के बीच विश्वास के महत्व को दर्शाया है। महाभारत काल में राजा ययाति का विवाह गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से हुआ था। विवाह के बाद एक शर्त के तहत देते की राजकुमारी शर्मिष्ठा भी देवयानी के साथ दासी के रूप में गई। शुक्राचार्य ने ययाति से वचन लिया कि वह कभी भी देवयानी के अलावा किसी और स्त्री से संबंध नहीं रखेंगे।

विवाह के कुछ समय बाद देवयानी गर्भवती हो गई यह बात शर्मिष्ठा को मालूम हुई। शर्मिष्ठा राजकुमारी थी लेकिन एक दासी का जीवन व्यतीत कर रही थी। शर्मिष्ठा राजा ययाति के महल के पीछे कुटिया में रहती थी। उसने सोचा कि वह राजा ययाति को अपने सुंदर रूप से आकर्षित कर खुद भी जीवन के सभी सुख प्राप्त करें। अपनी योजना के अनुसार शर्मिष्ठा ने ययाति को आकर्षित कर लिया और ययाति शुक्राचार्य को दिया हुआ वचन भूल गए और उन्होंने शर्मिष्ठा से संबंध बना लिया।

शुक्राचार्य देते हैं श्राप
कुछ समय बाद देवयानी को यह बात पता चली तो पिता शुक्राचार्य के पास गई। क्रोधित हो शुक्राचार्य ने ययाति को श्राप दे दिया कि वह युवावस्था में ही वृद्ध हो जाएगा। इससे ययाति वृद्ध हो गए। शुक्राचार्य से क्षमा मांगी तो वो श्राप मुक्त हो गए।