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42 देशों की यात्रा के लिए ये ‘वैक्सीन’ जरूरी, सर्टिफिकेट होने पर कर पाएंगे यात्रा

MP News: यलो फीवर की बीमारी अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई हिस्सों में पाई जाती है, इसलिए वहां जाने से पहले यह टीका लगवाना अनिवार्य होता है।

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(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

MP News: भोपाल एम्स में डेढ़ महीने बाद यलो फीवर का टीकाकरण फिर से शुरू हो गया है। यह टीका उन लोगों को लगाया जाता है जो 42 देशों में जाना चाहते हैं। इन देशों में यात्रा से पहले इस वैक्सीन का सर्टिफिकेट दिखाना जरूरी होता है, और पूरे मध्यप्रदेश में यह सुविधा सिर्फ एम्स में मिलती है।

वीज़ा मिलने में नहीं होगी परेशानी

यलो फीवर की बीमारी अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई हिस्सों में पाई जाती है, इसलिए वहां जाने से पहले यह टीका लगवाना अनिवार्य होता है। वैक्सीन का स्टॉक खत्म होने के कारण पिछले डेढ़ महीने से लोगों को काफी परेशानी हो रही थी, जिससे उनके वीज़ा मिलने में भी देरी हो रही थी। अब टीकाकरण दोबारा शुरू होने से लोगों को जल्द ही यात्रा की अनुमति मिल सकेगी।

हर माह आते हैं 250 लोग

एम्स में महीने औसतन 200 से 250 लोग यह टीका लगवाने आते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि कोविड-19 महामारी के चलते इन टीकों के उत्पादन और सप्लाई पर असर पड़ा था, जिस वजह से स्टॉक आने में देरी हुई। ये टीके ब्राजील, फ्रांस और रूस में बनते हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिए भारत सरकार को मिलते हैं। इसके बाद, हिमाचल प्रदेश के कसौली में इनकी गुणवत्ता की जांच होती है और फिर पूरे देश के सेंटरों में भेजा जाता है।