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40 के बाद शादी करने की योजना तो रख सकते हैं अपने एग को संभाल कर

-इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (आइएसएआर) के 27 वें वार्षिक सम्मेलन

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भोपाल. आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानि आइवीएफ की सफल दर को 40 फीसदी से बढ़ाकर 70 फीसदी तक ले जाया जा सकता है। साथ ही बड़े सेंटर्स जहां एक समय में कई महिलाओं के अंडों व पुरुषों के शुक्राणु कोशिका को रखा जाता है। इसमें इनकी अलग-अलग पहचान में भी एआइ एक सफल भूमिका निभा रहा है। इससे 40 पार माता पिता बनने की तस्वीर पहले से ज्यादा साफ हो गई है। यह बातें आइवीएफ के विशेषज्ञों ने रविंद्र भवन में चल रहे इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन (आइएसएआर) के 27 वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान कहीं। 5 फरवरी तक चलने वाले इस कार्यक्रम में दो हजार चिकित्सक भाग लेंगे। जिसमें लगभग 50 विशेषज्ञ विदेश से आए।

40 के बाद शादी करने की योजना तो रख सकते हैं अपने एग को संभाल कर
करियर व अन्य कारणों से महिलाएं शादी ज्यादा आयु में करती हैं। ऐसे में 40 के करीब पहुंच चुकी कई महिलाओं में मां बनने की झमता प्रभावित हो जाती है। जिससे उन्हें मां बनने में परेशानी आती है। ऐसी महिलाएं 20 से 30 साल के बीच अपने एग को प्रिजर्व करा सकती हैं। जिससे शादी के बाद वह उसका प्रयोग कर बच्चे को जन्म दे सकती हैं। यह सभी जानकारी अपने व्याख्यान के दौरान आइएसएआर की प्रेसिडेंट डा. नंदिता पलशेतकर ने दी।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का रोल
डॉ ऋषिकेश पाई ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम बड़ी मात्रा में हर एक भ्रूण की सैकड़ों छवियों की समीक्षा करता है, प्रत्येक भ्रूण के विकसित होने की सबसे बड़ी संभावना का विश्लेषण करता है। जिससे आइवीएफ प्रक्रिया के सफल होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भाशय में स्वस्थ भ्रूण को प्रत्यारोपित करने से पहले, अंडे में प्रवेश करने तक सर्वश्रेष्ठ शुक्राणु कोशिका के चयन और मूवमेंट के लिए एक नैनोबॉट की सहायता ली जाती है।

कोरोना का भी पड़ा प्रभाव
व्याख्यान के दौरान चिकित्सकों ने कहा कि बाॅडी बिल्डिंग के लिए अधिक व्यायाम करने और मांसपेशियां बनाने के लिए हानिकारक स्टेराॅयड्स जैसी चीजें लेने वाले कई पुरुषों में स्पर्म काउंट शून्य तक पहुंच जाता है। ज्यादा जिम करने से शरीर में ऐसे हार्मोंस ज्यादा बनने लगते हैं, जो स्पर्म काउंट घटाते हैं। इसके अलाव कोरोना संक्रमण काल के दौरान भी युवाओं में स्पर्म काउंट कम हुए हैं। इससे पुरुषों में प्रजनन की क्षमताओं में कमी आई है।
वर्जन
यह एक सफल कार्यशाला है। इसमें कई चीजें सीखने को मिली हैं। एआइ का उपयोग कर अनुर्वरता, नपुंसकता या बांझपन का उपचार किया जा सकता है। इस कार्यक्रम में चिकित्सकों ने अपने अनुभवों को साझा किया है। इसके उपयोग से सीधे स्क्रीन पर स्पर्म काउंट को देख कर विशलेषण किया जा सकता है।
-डॉ रंधीर सिंह, ऑर्गनाइजिंग चेयर पर्सन, आइएसएआर