
युवाओं को संस्कृति को बढ़ावा देना होगा
भोपाल। हम लोग संस्कृति के पोषक भी हैं, संस्कृति के घोतक भी हैं। भारत का निर्माण प्रकृति ने किया है। उत्तर में हिमगिरि पर्वत, दक्षिण में हिंद महासागर, पूर्व में गंगा सागर तो पश्चिम में अरब सागर भारत की प्राकृतिक सीमाएं हैं। भारत अखंड है, विश्व को शान देने वाली भारत की गौरवशाली परंपरा है। भारतीय साहित्य ने ही हर मनुष्य के मस्तिष्क को उर्वरक बनाया है। स्वर्ग से भी बढ़कर भारत की जन्मभूमि है। यह बात पूर्व राज्यसभा सांसद रघुनंदन शर्मा ने कही। वे राज्य संग्रहालय में आयोजित तीन दिवसीय सृजनात्मक कार्यशाला के पहले दिन सोमवार को मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
कार्यशाला में प्रदेशभर के 40 जिलों से करीब 200 युवा रचनाकार भाग लिया। साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. उमेश कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि अब तक तीन युवा कार्यशाला संपन्न हो चुकी है, जिसमें 750 युवा साहित्यकार देश की संस्कृति और साहित्य से परिचित हो चुके हैं। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य युवाओं को उत्तम साहित्य से परिचित कराना तथा वेद-पुराण उपनिषद आदि प्राचीनतम साहित्य की जानकारी देना है। मुख्य वक्ता यशभान सिंह तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश में साहित्य को लेकर जितने प्रयत्न हो रहे हैं, साहित्य की जो निर्बाध गंगा बह रही है। डॉ. उमेश कुमार सिंह निदेशक साहित्य अकादमी ने इसके पर्व साहित्य अकादमी द्वारा संचालित समस्त आयोजनों की जानकारी प्रदान की, जिसमें युवा साहित्यकारों से लेकर वरिष्ठ साहित्यकारों को जोडऩे का कार्य किया जा रहा है।
भाषा और पंछियों को प्रदेश की सीमा में नहीं बांधा जा सकता - पालीवाल
कार्यशाला में 'व्यंग्य लेखन परंपरा और आज विषय पर परिचर्चा का आयोजन हुआ। इस सत्र में व्यंग्य लेखक राजेश कुमार पालीवाल ने व्यंग्य लेखन से संबंधित साहित्य की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भाषा और पंछियों को प्रदेश की समा में नहीं बाधा जा सकता। वह व्यंग्यकार ही सफल होता है जो स्वयं के ऊपर व्यंग्य लिखता है। सबसे बड़े व्यंग्यकार कबीर रहे हैं, जिन्होंने अपने व्यंग्य के द्वारा सामाजिक कुरीतियों पर सटीक प्रहार किया है।
प्रो. मुन्ना तिवारी ने कविता, गीत-गजल पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि कविता का व्यापक फैलाव अब संकुचित होता जा रहा है। लोक से जुड़ा साहित्य ही सफल होता है। तुलसी की पीड़ा उनके मानस में सामने आई है। कविताओं में जब तक मानस नहीं आएगा कविता सफल कैसे होगी? कविता मानस को समझ ही नहीं आएगी। पांचवें सत्र में कहानी विषय पर चर्चा हुई, जिसमें उदयपुर से आए प्रो. माधव हाड़ा ने कहानी के विविध आयामों पर विचार रखे गए।
Published on:
01 Aug 2018 04:51 pm
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