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शहर का यंगिस्तान कर रहा टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल, कई मुश्किलें कीं आसान

11 मई यानी आज वर्ल्ड टेक्नोलॉजी डे है। शहर के युवा भी टेक्नोलॉजी में एक से बढ़कर एक एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। उन्होंने कई ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप की हैं, जो मानव समाज के लिए बहुत काम की है। 

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sanjana kumar

May 11, 2016

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भोपाल। अगर टेक्नोलॉजी नहीं, तो हम पिछड़ जाएंगे... आज कोई काम नहीं बनता इसके बिना चाहे वह कॉलेज या ऑफिस का हो, खाना बनाना हो या फिर कोई भी लक्जरी। टेक्नोलॉजी ने घंटों-घंटों में होने वाले कामों को इतना आसान कर दिया है कि अब चुटकियों में काम हो जाते हैं। चाहे वह मेडीकल साइंस हो, ह्यूमन यूटिलिटी हो या फिर स्पेस। टेक्नोलॉजी ने हर जगह पहुंचकर हमारी मुश्किलें हल कर दी हैं। 11 मई यानी आज वल्र्ड टेक्नोलॉजी डे है। शहर के युवा भी टेक्नोलॉजी में एक से बढ़कर एक एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। उन्होंने कई ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप की हैं, जो मानव समाज के लिए बहुत काम की है।

बिना डॉक्टर होगी मलेरिया की जांच

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कई बार हमें ऐसी बीमारियां हो जाती हैं, जिनके बारे में हमें पता नहीं चल पाता। मलेरिया जैसी बीमारी को गांवों में डिटेक्ट करने के लिए ही कम्प्यूटर साइंस के चार स्टूडेंट्स शिवांगी धाकड़, आकृति जैन, प्रज्ञा परिमिता और विवाश्वन तिवारी ने एक ऐसा प्रोजेक्ट बनाया है। इसके जरिए बिना डॉक्टर की मदद से भी मलेरिया का टेस्ट हो जाएगा। आपको अपने ब्लड सैंपल को माइक्रोस्कोप में फिट करके एक फोटो लेना है और इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से आपके ब्लड सैंपल का टेस्ट हो जाएगा कि आपको मलेरिया है या नहीं। शिवांगी बताती हैं कि गावों में जहां डॉक्टर्स नहीं हैं, वहां अगर इस सॉफ्टवेयर में किसी को ट्रेन कर दिया जाए, तो आसानी से मलेरिया की जांच की जा सकती है।

एप बताएगी कि कौन सी मूवी देखें

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आजकल हमें जो भी फिल्म या जो भी एक्टर पसंद आता है, हम सबसे पहले फेसबुक पर उसका पेज लाइक कर लेते हैं। मैनिट के दो छात्रों सौरभ कुलकर्णी और आदित्य श्रीवास्तव ने एक ऐसी एप तैयार की है, जिसमें आफ फेसबुक के जरिए लॉग इन करते हैं तो आपकी पसंद की मूवीज और एक्टर्स से जुड़ी सभी फिल्मों की जानकारी आपको मिल जाएगी। सौरभ बताते हैं कि कई बार हमारे हॉस्टल में दोस्त अपन पसंद के एक्टर की और मूवीज के बारे में पूछते थे, वही से मुझे आइडिया आया कि क्यों न ऐसा एप बनाया जाए जिसमें सभी एक्टर्स और मूवीज का पूरा डेटाबेस हो।
कम खर्च, बिना बांध के बनेगी बिजली

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मैकेनिकल इंजीनियरिंग फाइनल ईयर की छात्रा नैन्सी वर्मा ने 'हायड्रो पावर प्लांट' कान्सेप्ट तैयार किया है। इसे भारत सरकार ने पेटेंट के लिए स्वीकार कर लिया है। इसके इस्तेमाल से लागत में भारी कमी के साथ ही इसे कम जगह में लगाया जा सकेगा। बांधों में एक बार टरबाइन पर गिरने के बाद पानी का दोबारा इस्तेमाल नहीं हो पाता, जबकि इस कान्सेप्ट में पानी का कई बार रीयूज किया जा सकेगा। नैन्सी कहती हैं, उन्हें इस कान्सेप्ट से बिजली बनानेे के लिए केवल 1000 वर्गमीटर जमीन की जरूरत है, जो बांधों तुलना में कम है।

ड्रोन डालेगा खेतों में दवाई

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एक किसान मेहनत से खेतों में फसल उगाता है। लेकिन, उन फसलों के रखरखाव बहुत मुश्किल होता है। इसलिए विवेक सिंघई, लवनीश अग्रवाल, यशवर्धन सिंहा और शुभम चंद्रा ने एक ऐसा ड्रोन बनाया है, जिससे ऑटोमेटिकली खेतों में दवाई का छिड़काव हो जाएगा। लवनीश बताते हैं कि खेतों में दवाई का छिड़काव मैनुअली करने से कई तरह की बीमारियां हो जाती है। जैसे एलर्जी, इचिंग आदि। इसमें दवाई का कंटेनर रखकर उसमें पंप और नोडल की सहायता से दवाई को छिड़का जा सकता है। ड्रोन को रिमोट की मदद से ऑपरेट किया जाएगा। वे इस ड्रोन में थर्मल इंफ्रारेड कैमरा भी एड कर रहे हैं। इससे फसलों में हुई डिसीज के बारे में भी पता चल सकेगा।

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