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कैग रिपोर्ट में हुआ खुलासा भुवनेश्वर एम्स है मरीजों से ज्यादा बीमार!…कैसे होगा इलाज?

राज्य सरकार ने भी एम्स स्थापना में खास सहयोग नहीं किया...

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bhubneshwar aiims

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(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): एम्स भुवनेश्वर के संचालन में घोर अनियमितताएं होने के कारण ओडिशा व इर्दगिर्द क्षेत्र के मरीजों को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। सीएजी की हालिया रिपोर्ट में इसमें व्याप्त धांधली का खुलासा किया गया है। वर्ष 2011 से 2017 तक एम्स को 505.69 करोड़ दिया गया है जिसमें 25.8 प्रतिशत यानी 130.49 करोड़ खर्च ही नहीं किया जा सका।

यही नहीं राज्य सरकार ने भी एम्स स्थापना में खास सहयोग नहीं किया। केंद्र सरकार ने राज्य 200 एकड़ भूमि मांगी थी, पर मिली 92.11 एकड़ ही। इसके अलावा कार्डियक, न्यूरो और मानसिक रोग विभाग के लिए 50 एकड़ के बजाय 21 एकड़ ही जमीन राज्य सरकार दे रही है। सीएजी ने बिजली उपयोग पर भी सवाल उठाते हुए 26 लाख जुर्माना भरने की बात कही है। यह भी कहा गया है कि ईटीपी (एफ्युलिएंट ट्रीटमेंट प्लांट) और एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बन गया है पर चालू नहीं हो सका। बायो-मेडिकल वेस्ट का निस्तारण भी वैज्ञानिक विधि से नहीं किया जा रहा है। यही नहीं 13.48 करोड़ के चिकित्सीय उपकरणों का उपयोग नहीं किया जा पा रहा है।

15 जुलाई 2013 को एम्स भुवनेश्वर का स्थापना दिवस होता है। पांच साल से ज्यादा बीत चुके हैं पर यहां की व्यवस्था घिसट-घिसट कर चल रही है। निर्माणाधीन चिकित्सीय विभाग, 968 मरीजों की क्षमता वाले एम्स में कुल 568 के लिए ही बे़ड की व्यवस्था है। सपना था कि ओडिशा के पड़ोसी राज्यों झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व पश्चिम बंगाल राज्यों के भी लोगों को उच्च स्तरीय गुणवत्ता के कारण यहां आते हैं। कुल 400 बेड पर ही मरीज देखें जा सकते हैं। पैरामेडिकल स्टाफ, सीनियर रेजीडेंट, फैकल्टी, ओटी, रेडियोथिरेपी, कार्डियोवैस्कुलर, नेफ्रालाजी, गेस्ट्रोएंट्राइटिस विभाग खुद ही बीमार पड़े हैं। एक जानकारी के अनुसार 250 फैकल्टी की जरूरत है, पर 137 डाक्टरों से काम चलाया जा रहा है। दो सौ की जगह 150 सीनियर रेजीडेंट हैं। हालांकि ओपीडी में लगभग तीन हजार मरीज रोज आते हैं पर उनके इलाज की उचित व्यवस्था न होने से लोग प्राइवेट क्लीनिक चले जाते हैं।

एम्स अधीक्षक कहते हैं कि चार चरणों में बेड, चिकित्सीय उपकरण वाले कक्ष, ओटी, क्लास रूम व इनडोर मरीजों की सुविधा के लिए काम चल रहा है। तीस करोड़ की रेडियो थिरेपी मशीन बैठा रहे हैं। दस ओटी निर्माणाधीन हैं। बीस मॉड्यूलर आपरेशन थियेटर यानी बहुमुखी ऑपरेशन थियेटर बनाए जा रहे हैं। नवंबर तक काम होने लगेगा।