scriptएमबीए-पीएचडी कर ‘बेलन-रोटी’ फूड स्टाल से आत्मनिर्भरता के गुर सिखा रहीं सहेलियां | Friends are teaching self-reliance tricks from 'Belan-Roti' food stall | Patrika News

एमबीए-पीएचडी कर ‘बेलन-रोटी’ फूड स्टाल से आत्मनिर्भरता के गुर सिखा रहीं सहेलियां

locationभुवनेश्वरPublished: Jan 22, 2020 12:31:38 am

Submitted by:

arun Kumar

तू जिंदा है तों जिंदगी की जीत पर यकीन कर…! जी हां… हम बात कर रहे हैं एमबीए धारक राजलक्ष्मी साहू, और योग में पीएचडी कर चुकीं शुभाश्री दीक्षित और पिंकी नायक की। तीनों ही सहेलियों ने उच्च शिक्षा के बावजूद ‘बेलन-रोटी’ फूड स्टाल चलाकर युवाओं को आत्मनिर्भरता का संदेश दिया।

एमबीए-पीएचडी कर 'बेलन-रोटी' फूड स्टाल से आत्मनिर्भरता के गुर सिखा रहीं सहेलियां

एमबीए-पीएचडी कर ‘बेलन-रोटी’ फूड स्टाल से आत्मनिर्भरता के गुर सिखा रहीं सहेलियां

– ओडिशा में अन्य राज्यों का स्वाद बांट रहीं राजलक्ष्मी, शुभाश्री और पिंकी

महेश शर्मा. भुवनेश्वर

तू जिंदा है तों जिंदगी की जीत पर यकीन कर…! जी हां… हम बात कर रहे हैं एमबीए धारक राजलक्ष्मी साहू, और योग में पीएचडी कर चुकीं शुभाश्री दीक्षित और पिंकी नायक की। तीनों ही सहेलियों ने उच्च शिक्षा के बावजूद ‘बेलन-रोटी’ फूड स्टाल चलाकर युवाओं को आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। उनका मानना है कि नौकरियों के पीछे भागने से अपनी पहचान बनाना जरूरी है। भुवनेश्वर की तीन सहेलियों ने स्टार्टअप से अपने सफर का आगाज किया। अब वह सी—फूड और स्थानीय व्यंजनों के शौकीन ओडिशावासियों तक अन्य राज्यों का जायका पहुंचा रही हैं। इन्होंने ओडिशा के ही व्यंजनों में नए प्रयोग कर अपनी पहचान बनाई।

और चल पड़ा ‘बेलन-रोटी’ फूड स्टाल

तीनों सहेलियों ने भुवनेश्वर के मधुसूदन नगर में ‘बेलन-रोटी’ नाम से एक फूड स्टाल शुरू किया है। राजलक्ष्मी का कहना है कि जरूरी नहीं कि एमबीए जैसी पढ़ाई के बाद हम नौकरी ही करें, ज्यादा जरूरी है आत्मनिर्भर होना। ऐसे में स्टार्टअप सबसे अच्छा तरीका है। बेलन—रोटी में आपको सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे तक 20 रुपए में अच्छा नाश्ता मिलता है। रोटी, पराठा (प्लेन), उपमा सूजी सेमई, दालमा, बूटा करी, पूरी मसला, प्लेन ओट्स पीठा, पोहा, चाकुली, उत्पम, आलू दम, सेमई खीर, सोला बूटा, सूजी अप्पम यहां मिलने वाले प्रमुख व्यंजन है। इसी के साथ सांभर डोसा, मसाला डोसा व इडली जैसी डिशेज भी यहां मिलती है। राजलक्ष्मी साहू का कहना हैं कि ‘बेलन-रोटीÓ में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

मधुमेह से पीडि़तों की अलग है व्यवस्था

मधुमेह से पीडि़तों के लिए अलग व्यवस्था रखी जाती है जैसे आलू उन्हें नहीं दिया जाता है। वह धीरे-धीरे अन्य देसी फूड को अपने छोटे से रेस्ट्रा में रखेंगी। साहू का कहना है कि यह तो छोटा स्टार्टअप्स है, जल्द ही विस्तार होगा। तीन सहेलियां ‘कस्टमर सेटिफैक्शन इज माई मोटो’, का मंत्र लेकर चल रही हैं। रेसिपीज कुछ भी हों यदि भारतीय रंग चढ़ा तो हिट तो होना ही है। उनका कहना है कि खाने का जायका बढिय़ा होगा तो लोग खुद ही खिंचे चले आएंगे।

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