
pratap sarangi
(भुवनेश्वर,महेश शर्मा): सफेद कुर्ता, धोती या पायजामा, जिसे वे खुद ही धोकर इस्त्री करते हैं। कंधे पर झोला लटकाए साइकिल पर सवार होकर प्रताप सारंगी नीलगिरि की गलियों में निकलते हैं, तो लोग उन्हें सादगी की मिसाल के तौर पर देखते हैं। कभी-कभी तो लोगों की आंखें उनकी इस सादगी से नम भी हो जाती हैं। इस जमाने में ऐसा व्यक्तित्व विरले ही देखने को मिलता है। उनकी सादगी पर तो मोदी भी फिदा हैं। उनका नाम सोशल मीडिया में भी इन दिनों ट्रेंड कर रहा है। यह नाम है बीजेपी के टिकट पर बालासोर से नवनिर्वाचित सांसद प्रताप चंद्र सारंगी (Inspiring story of Pratap Sarangi) का। सादगी के कारण 64 वर्षीय नेता प्रताप सारंगी ओडिशा के मोदी (Odisha's Modi Pratap Sarangi) कहे जाते हैं। वह अविवाहित हैं। उनकी मां का बीते साल निधन हो गया। अब वह अकेले हैं, पर पूरे समाज को अपना परिवार मानते हैं।
न दिखें, तो मोदी भी पूछ बैठते हैं
बालासोर के नीलगिरि के रहने वाले प्रताप के घर के सामने हैंडपंप है, जहां पर खुद चलाकर पानी भरते हैं। नहा लेते हैं। पूजा-अर्चना के बाद वह समाज सेवा कार्य में जुट जाते हैं। बीजेपी के लोग बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनसे इतना प्रभावित हैं कि ओडिशा आने पर उनकी प्रताप सारंगी से भेंट जरूर होती है। वह यदि न दिखें, तो मोदी पूछ लेते हैं कि प्रताप जी कहां हैं? समाज सेवा का उन्हें जुनून है। वह मानते हैं कि इसके लिए उपयुक्त प्लेटफार्म राजनीति ही है।
गरीब सीधे पहुंच सकता है उनके झोपड़े तक
सफेद दाढ़ी, सिर पर सफेद पर कम बाल, साइकिल, बैग उनकी पहचान है। किसी गरीब का कोई काम होता है, तो वह सीधे प्रताप सारंगी की झोपड़ी में जा पहुंचता है। उसे पता है कि उसकी कोई सुनने वाला है। उनकी यही सादगी, ईमानदारी और कम खर्चे पर जिंदगी बिताना ही लोगों को रास आ गया। इसी के बूते उन्होंने बीजू जनता दल का मजबूत गढ़ भेद दिया। प्रताप की सादगी यदि उन्हें मोदी मंत्रिमंडल का सदस्य होने तक ले जाए, तो कोई अचरज न होगा। सारंगी (Balasore MP pratap sarangi) ने बीजेडी के रवींद्र कुमार जेना को 12,956 वोटों से हराया है।
कौन हैं प्रताप सारंगी
प्रताप सारंगी का जन्म ओडिशा के गरीब परिवार में हुआ था। दुबला-पतला शरीर साधुवेश (श्वेतवस्त्रधारी) में जीवन बिताने वाले सारंगी शुरू से ही धार्मिक और कर्मकांडी प्रवृत्ति के हैं। वह साधु बनना चाहते थे। उनके करीबी लोग बताते हैं कि नीलगिरि फकीरमोहन कालेज में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह साधु बनने के लिए रामकृष्ण मठ चले गए। मठ के लोगों को जब पता चला कि उनकी मां विधवा हैं, तो उनको (प्रताप सारंगी) मां की सेवा करने को कहा गया। इसके बाद उन्होंने विवाह नहीं किया। पूरा जीवन मां व समाज की सेवा में लगा दिया। बच्चों को पढ़ाते भी हैं। समाज सेवा की प्रेरणा को वह मां का आशीर्वाद मानते हैं। उनके परिवार में और कोई नहीं है। वह छोटे से घर में रहते हैं और साइकिल पर चलते हैं। संपत्ति के नाम पर छोटा सा घर ही है। बीते साल मां का निधन हो गया था। उनकी पार्टी के लोगों का कहना है कि मोदी की पहल के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 2004 से लेकर 2009 तक वह विधायक रह चुके हैं। तब बीजेडी और बीजेपी का गठजोड़ हुआ करता था। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह हार गए थे। जनता ने इस बार उन्हें संसद में बैठने का मौका दिया है।
Published on:
30 May 2019 05:39 pm
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