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ओडिशा में जानलेवा हो रहा स्क्रब टाइफस अब तक पांच की मौत

ओडिशा के बरगढ़ जिले में स्क्रब टाइफस का शिकार बने पांच लोगों की मौत हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से जागरुकता बरतने को कहा है। इसके साथ ही प्रभावित जिले में मेडिकल टीमों को सतर्क किया गया है व परीक्षण की संख्या बढ़ाई जा रही है।

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ओडिशा में जानलेवा हो रहा स्क्रब टाइफस अब तक पांच की मौत

ओडिशा में जानलेवा हो रहा स्क्रब टाइफस अब तक पांच की मौत

भुवनेश्वर
ओडिशा के बरगढ़ जिले में स्क्रब टाइफस का शिकार बने पांच लोगों की मौत हो गई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से जागरुकता बरतने को कहा है। इसके साथ ही प्रभावित जिले में मेडिकल टीमों को सतर्क किया गया है व परीक्षण की संख्या बढ़ाई जा रही है। बरगढ़ जिले में ही चार अन्य लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं।
ओडिशा के जन स्वास्थ्य निदेशक निरंजन मिश्र ने कहा है कि स्क्रब टाइफस से सावधानी बरतने की अपील की है। यह चिग्गर नामक एक कीट के कारण होता है। यह बीमारी खेत या जंगल में जाने वाले लोगों को ज्यादा होती है। स्क्रब टाइफस होने से बुखार जल्दी ठीक नहीं होता है। इससे मृत्यु की भी संभावना होती है। यह कीड़ा शरीर के जिस अंग में काटता है, वहां की चमड़ी मर जाती है। मिश्रा ने बताया कि सभी जिला अस्पतालों के डीपीएचएल में इसकी जांच की व्यवस्था है। एलाइजा पद्धति से संदिग्ध मामलों की जांच कराने का प्रावधान है। बीमारी के बारे में समय से पता चलने पर उपचार आसान हो जाता है। स्वास्थ्य निदेशक ने कहा है कि लंबे समय से बुखार की समस्या झेल रही पीडि़त इसका परीक्षण करा लें। उनके मुताबिक यह बीमारी बरगढ़, नवरंगपुर और सुंदरगढ़ में फैल रही है। सबसे ज्यादा नमूने केंदुझर इलाके से आ रहे हैं।
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क्या है स्क्रब टाइफस
स्क्रब टाइफस संक्रामक रोग है। जो एक तरह के बैक्टीरिया से होता है। जिसका वाहक घुन के जैसा दिखने वाला कीड़ा है जो ज्यादातर घास, झाडिय़ों, चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के शरीर पर देखा जाता है। जब लोग इनके संपर्क में आ जाते हैं तो ये उन्हें काटकर संक्रमित कर देता है। स्क्रब टाइफस के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, गंभीर सिरदर्द, चमड़ी पर गहरे रंग की पपड़ी जैसा घाव, बढ़े हुए लिम्फ नोड, शरीर पर लाल धब्बे या चकत्ते हो सकते हैं। सूखी खांसी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, लाल आंखें,भ्रम,गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण और मेनिनजाइटिस भी इसके लक्षण हो सकते हैैं। संक्रमित होने के करीब 10 दिन बाद लक्षण सामने आने शुरू हो सकते हैं। ठीक समय पर सही ईलाज शुरू नहीं करने पर इसके संक्रमित लोगों के अंग काम करना बंद कर देते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक बागवानी और खेत खलिहानों, जंगल झाडिय़ों में काम करने वाले लोगों को इसके संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। साथ ही कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग भी संक्रमण का शिकार आसानी से बन जाते हैं। विशेषज्ञ लोगों को स्वच्छता का ध्यान रखने, पालतू जानवरों को संभालते समय सतर्क रहनें और झाडिय़ों व घर के आस-पास पेड़ पौधों की नियमित सफाई करने की सलाह देते हैं। लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह भी दी जाती है।