
Jagannath Rath Yatra 2020: रथ निर्माण शुरू, Coronavirus रोक पाएगा बड़दंड में रथ का पहिया?
महेश शर्मा
भुवनेश्वर: महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा के आयोजन पर संशय अभी भी बरकरार है लेकिन रथ निर्माण काम शुरू किया जा चुका है। पुरी में रथ निर्माण के लिए बुलाए गए 200 कारीगरों को 45 दिन के क्वारंटाइन पर रखा गया है। ये रथ निर्माण के बाद ही जा सकेंगे। इनके रहने-खानेपीने की व्यवस्था होटल में की गई है। कोरोना वायरस से रोकथाम संबंधी सभी साधन दिए गए हैं। मास्क, सेनीटाइजर के साथ ही संक्रमण से बचने के अत्याधुनिक साधन मुहैया कराए गए हैं। रथ निर्माण स्थल से सौ मीटर के दायरे में पब्लिक और मीडिया का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। श्रीजगन्नाथ मंदिर के प्रशासक (विकास) अजय कुमार जेना ने यह जानकारी दी।
पुरी में भी कोरोना की दस्तक...
पुरी में भी कोरोना पॉजिटिव के तीन मामले पाए जाने से एहतियाती प्रबंध किए गए हैं। समुद्र तट का भीड़भाड़ वाले क्षेत्र रेनुकालेन को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। इसे सेनीटाइज किया गया है। इनके संपर्क में आए लोगों को तलाश करके क्वारंटाइन में भेजा जा रहा है। पुरी को ग्रीन जोन से हटाकर ऑरेंज जोन की श्रेणी में डाला गया है।
विलंब से शुरू हुई तैयारियां...
रथयात्रा के विधिवत आयोजन को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारें रथयात्रा आयोजन को लेकर किसी भी प्रकार का जोखिम लेने को तैयार नहीं हैं। अगले माह 23 जून से होने वाली रथयात्रा की शुरुआती रीतिनीति में बाधाएं उत्पन्न होती रहीं। इसीलिए ये विधिवत नहीं हो पायी। मसलन, 26 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन से शुरू होने वाला रथ निर्माण 12 दिन विलंब से शुरू हुआ है। इसके समय पर बन पाने को ही लेकर सवाल उठने लगे हैं। महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ चंदनयात्रा नहीं कर पाए। आगे की परंपराएं हो भी पाएंगी? इसको लेकर भी दुविधा है। श्रीमंदिर परिसर में प्रतीकात्मक तौर पर कुछ परंपराएं निर्वहन का प्रयास किया जा सकता है।
रथ निर्माण को मिली है अनुमति...
महाप्रभु जगन्नाथ जी की भव्य रथयात्रा सन 1736 से बराबर निकाली जा रही है। शायद यह पहला अवसर होगा जब महाप्रभु के रथ के पहिये कोरोना रोकने की हिमाकत कर रहा है। इस असमंजस की हालत देखकर श्रद्धालुओं के साथ ही मंदिर के पुजारियों, प्रशासकों व सरकार के माथे पर पसीना झलक रहा है। सबकी नजर 17 मई पर है। इस दिन लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त हो रहा है। बताते चलें कि तीन अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होने के बाद बैठक करके किसी निर्णय पर पहुंचने की बात कही गई थी। तभी चार मई को श्रीमंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों ने प्रधानसेवक गजपति महाराज दिव्य सिंहदेव की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग करके निर्णय लिया कि बंड़दंड (श्रीमंदिर के सामने ग्रांडरोड) में रथ निर्माण कराया जा सकता है। यह प्रस्ताव राज्य सरकार के कानून विभाग को भेजा गया तो सराकर ने इसे बिना विलंब किए केंद्र सरकार के प्रेषित कर दिया। एक दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय से पत्र आया कि बड़़दंड में रथ निर्माण किया जा सकता है।
साफ कहना हुआ मुश्किल...
इस दौरान अक्षय तृतीया से पहले ही नयागढ़ और बौद्ध जिलों के जंगल से नीम की लकड़ी लाकर रख ली गई थी। हालांकि रथ निर्माण का कार्य शुरू हो गया है पर बकौल श्रीमंदिर प्रबंधन से जुड़े सदस्य के अनुसार अगर कोविड-19 के हालात ऐसे ही रहे तो प्रतीकात्मक रथयात्रा ही आयोजित की जा सकेगी। हां, धार्मिक पंरपंरा के निर्वहन के लिए प्रतीकात्मक यात्रा निकाली जा सकती है। पर क्या सभा आवश्यक अन्य परंपराएं पूरी हो सकेंगी? साफ तौर पर कोई नहीं बता पा रहा है।
क्या है राज्य सरकार का पक्ष...
रथयात्रा के मामले में राज्य सरकार की ओर से बराबर हस्तक्षेप करने वाले कानून मंत्री प्रताप जेना कहते हैं,”रथ निर्माण का काम शुरू हो गया है। अब रथयात्रा आयोजन तो हालात पर निर्भर करेगा।“ उधर ओडिशा सरकार के रवैये से रथ निर्माण करने वाले शिल्पकार नाराज हैं। कहा जा रहा है कि रथनिर्माण कार्य में इतना विलंब हो चुका है और इसकी शुभ तिथियां निकल गई हैं। पिछले 15 साल से रथयात्रा के लिए ओडिया दूरदर्शन के लिए लाइव कमेंट्री करने वाली महिला आयोग की पूर्व सदस्य नम्रता चड्ढा कहती हैं कि उन्हें तो लगता है कि कोई चमत्कार ही भव्य रथयात्रा का आयोजन करा सकता है। भक्तों को इसी चमत्कार का इंतजार है। जगन्नाथ भगवान को ओडिशा में हर परिवार सदस्य के रूप में मानता है इसीलिए तो उनकी रीतिनीति के लिए 36 नियोग के अलग-अलग सेवायत तैनात हैं। कुछ लोगों का कहना है कि कोरोना में हमारे जगन्नाथ बाहर क्यों निकलें, रथयात्रा के धार्मिक अनुष्ठान की परंपरा प्रतीकात्मक रूप से श्रीमंदिर परिसर में ही संपन्न की जा सकती है। दइतापति सेवक विनायक दास महापात्रा कहते हैं कि सरकार तो रथयात्रा पर ड्रामेबाजी कर रही है। राज्य सरकार ने पल्ला झाड़ते हुए केंद्र को लिखा और अनुमति चाही। फिर केंद्र का जवाब आया। इसी में तीन दिन लग गए। रथनिर्माण में विलंब होता रहा। बिना भक्तों की मौजूदगी में ही रथयात्रा आयोजित की जा सकती है। ऐसा सभी सेवायत लोग कहते हैं।
बहुत कम समय बचा है...
रथनिर्माण के मुख्य विश्वकर्मा विजय महापात्रा कहते हैं कि अब तो समय बहुत कम बचा है। ज्यादा शिल्पकारों को लेकर 24 घंटे कार्य हो तो शायद रथ निर्माण संभव भी है। कोरोना के कहर के बीच पुरी स्थित गोवर्द्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के आश्रम में 24 अप्रैल की बैठक में सभी महत्वपूर्ण लोग थे और शंकराचार्य ने यह निर्णय दिया था कि श्रीमंदिर परिसर के भीतर ही धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए जा सकते हैं। श्रीमंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष गजपति महाराज, मुख्य प्रशासक, सेवायतों के प्रतिनिधियों ने विकल्प पर सहमति जतायी। मौका मुआयना हुआ। कहा गया कि शंकराचार्य के साथ अगली बैठक में निर्णय ले लिया जाएगा। यह अगली बैठक अब तक नहीं हुई। शंकराचार्य कहते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेना चाहिए। विकल्प पर भी गहन विचार विमर्श करके राय बनानी होगी। इधर ओडिशा में कोरोना पॉजिटिव के मरीज बढ़कर 394 (सोमवार 11 मई तक) हो गए। तीन मौतें हो चुकी हैं।
Published on:
11 May 2020 10:02 pm
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