12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बीजापुर का ये आम है बहुत ही ख़ास,मिल चुके हैं कई इनाम

बीजापुर के तलांडी परिवार के पास आम की ऐसी किस्में (rare mango variety) हैं जिनका वजन तीन से चार किलो तक होता है। स्वाद ऐसा की दूर दराज से लोग बीजापुर सिर्फ इस आम के लिए आते हैं

2 min read
Google source verification
hathijhul aam

बीजापुर का ये आम है बहुत ही ख़ास,मिल चुके हैं कई हैं कई इनाम

बीजापुर. देश और दुनिया में आम के किस्मो की भरमार है।हर जगह के आम की अपनी ही विशेषता होती है। ऐसी ही एक किस्म (rare Mango variety) बीजापुर में पायी जाती है जिसने पुरे देश में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है। आम तौर पर आम बाजार में दो से ढाई किलो किलो तक के ही होते हैं लेकिन बीजापुर में पाया जाने वाला हाथीझूल आम (Hathijhul mango) लगभग चार किलो तक का होता है।

नुनकपाल गांव के किसान भाई राम तलांडी ,गोविंद तलवंडी और राम नारायण तलांडी के पास 7 एकड़ का फार्म हाउस है। उनके पिता स्वर्गीय समैया तलांडी के बाद अब इस फॉर्म को उनके बेटों ने एक धरोहर के रूप में संजोकर रखा हुआ है। उन्होंने 2010 में हाथीझूल के 3 पौधे लगाए थे। एक पेड़ में 25 से 30 आम के फल पैदा होते हैं।

पढ़ें:नया सत्र शुरू होने की तिथि को लेकर सस्पेंस हुआ खत्म, अब इस दिन खुलेंगे स्कूल

इस साल तीन से 4 किलो तक वजनी आम आ रहे हैं। तलांडी परिवार इसे लोकल मार्केट में बेचता है या फिर लोग उनके घर आकर ही इसे खरीद लेते हैं। कई सारे नौकरी करने वाले लोग दुर्ग,रायपुर और भिलाई तक लेकर जाते हैं। साइज में बड़ी व अन्य आमो की तुलना में मिठास ज्यादा होने से इसकी काफी ज्यादा मांग होती है।

हो चूका है पुरस्कृत

उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक विनायक मानापूरे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में लगी किसी भी प्रदर्शनी में उन्होंने हाथी से बड़ा आम (rare mango variety) नहीं देखा इस किस्म (Hathijhul mango) की उत्पत्ति स्थल के बारे में किए गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दरअसल पाया में नर्सरी 35 साल पहले बनी है और इसको कहां से लाया गया इसका रिकॉर्ड नहीं है कुछ साल पहले नई दिल्ली में जिले के 3 किलो 900 ग्राम का नाम रखा गया था इसके लिए विभाग को पुरस्कृत भी किया गया था

बेंगलुरु और राज महेंद्री से मंगाए गए थे पौधे

तलांडी परिवार के बगीचे में आम की लगभग 25 किस्में (rare mango variety) है। इसमें नीलम की तीन किस्में है। इसके अलावा बैगनपल्ली तोता-परी,दशहरी,लंगड़ा जैसे किस्में है। इसकी खासियत यह है कि यहां 10 से 12 पेड़ ऐसे भी हैं जिन्हे सिर्फ अचार बनाने के काम में लिया जाता है। नारायण तलावडी ने बताया कि आम के पौधे बेंगलुरु और राजमहेंद्रीसे मंगाए गए थे।

ऐसे हुआ इसका नामकरण

जैसे धरती पर सबसे बड़ा प्राणी हाथी है ठीक वैसे ही हाथीझूल भी सबसे बड़ा आम है। और आम साखों से लटकते रहते हैं इसीलिए इस आम की किस्म का नाम हाथीझूल (Hathijhul mango) पड़ गया।