
दुर्लभ प्लेकोस्टोमस मछली (Photo source- Patrika)
plecostomus fish: प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता के लिए पहचाने जाने वाले बस्तर अंचल की नदियों में एक दुर्लभ प्लेकोस्टोमस प्रजाति की मछली इन दिनों देखी जा रही है। इसकी आक्रामकता को अन्य जीवों के लिए खतरा बताया जा रहा है। मंगलवार को बीजापुर जिले के भोपालपटनम ब्लॉक के अर्जुनल्ली गांव में स्थानीय ग्रामीणों ने इस मछली को पकड़ा। इसके सक्शन नुमा मुंह और बाघ जैसी धारियों वाले इस जीव की पहचान विशेषज्ञों ने प्लेेकोस्टोमस मछली’ के रूप में की है।
मछली की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद पता चला कि यह मछली मूलत: दक्षिण अमेरिका की अमेजन बेसिन में पाई जाती है। भारत में इसे एक्वेरियम फिश माना गया है। प्रजनन के लिए ही इंद्रावती मे आती है। ग्रामीणों कोरम, दिलीप यालम, यालम धर्मेया, गणेश जव्वा और वीरेंद्र गोटे ने बताया कि यह मछली उन्हें अर्जुनल्ली गांव के पास चिंतावागु नदीे में मिली। यह नदी आगे चलकर इंद्रावती नदी में मिलती है, जानकारों के मुताबिक यह मछली प्रजनन के लिए ही इंद्रावती नदी तक पहुंचती है ।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मछली बेहद तेजी से प्रजनन करती है और एक बार जलस्रोत में बसने के बाद पूरी पारिस्थितिकी तंत्र को बदल देती है। यह मछली स्थानीय प्रजातियों के भोजन और प्रजनन स्थलों पर कब्जा कर लेती है, जिससे उनकी संख्या में गिरावट आती है। भारत के अन्य राज्यों में भी इसे आक्रामक प्रजाति घोषित किया जा चुका है, और अब बस्तर में इसकी मौजूदगी स्थानीय जैव विविधता के लिए खतरा बन सकती है।
डॉ. सुशील दत्ता, प्राणी विज्ञान विभाग, प्राध्यापक: इसे ‘कचरा खाने वाली मछली’ कहा जाता है, लेकिन असल में यह जल तल पर मौजूद सूक्ष्मजीवों और पौधों की संरचना को प्रभावित करती है। इसकी उपस्थिति स्थानीय मछलियों की जैव श्रृंखला को बिगाड़ सकती है। बस्तर जैसे संवेदनशील जैव क्षेत्र में इसका मिलना चिंताजनक है।
आमतौर पर एक्वेरियम में रखी जाने वाली यह मछली काई और कचरा साफ करने वाली ’क्लीन फिश’ के रूप में जानी जाती है। लेकिन जब इसे तालाबों या नदियों में छोड़ दिया जाता है, तो यह वहां की प्राकृतिक व्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित करती है।
Updated on:
30 Jul 2025 02:41 pm
Published on:
30 Jul 2025 02:39 pm
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