
बिजनौर. ज़िले में के नूरपुर विधानसभा उप चुनाव की तारीख का ऐलान होने के बाद भी भाजपा अपने प्रत्याशी का ऐलान नहीं कर पा रही है। दरअसल, भाजपा पिछले दिनों गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में मिली करारी हार को फिर से दोहराना नहीं चाहती है। यही वजह है कि पार्टी सभी तरह के गुणा भाग करने के बाद भी टिकट की घोषणा करना चाहती है। ताकि, हार से बचा जा सके। माना जा रहा था कि पार्टी अपने दिवंगत विधायक लोकेन्द्र चौहान की पत्नी को नूरपुर विधानसभा से उपचुनाव के लिए टिकट दे सकती है, लेकिन पार्टी अब कोई जल्दबाजी में नहीं दिख रही है। यही वजह है कि चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद भी पार्टी को उम्मीदवार घोषित करने में पसीने छूट रह हैं। वहीं, सपा-बसपा के गठबंधन ने भी भाजपा के होश उड़ा रखे हैं।
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सपा नगर पालिका अध्यक्ष पति शमसाद अंसारी के मुताबिक सपा-बसपा का गठबंधन का साथ आगे भी रहा तो नूरपुर की सीट आसानी से जीती जा सकती है । लेकिन वो भी जब कोई उम्मीदवार मुस्लिम चुनाव में न उतारा जाए, क्योंकि मुस्लिम के साथ-साथ चौहान और सैनी बिरादरी की तादाद भी बड़ी संख्या में है । इसके साथ ही इलाके के लोग भी मानते हैं कि सपा-बसपा के गठबंधन में नूरपुर विधानसभा सीट पर सही उम्मीदवार उतारने पर सपा को बड़ा फायदा होगा। साथ ही ये गठबंधन बीजेपी प्रत्यशी को शिकस्त भी दे सकता है।
गौरतलब है कि बिजनौर जिले में कुल आठ विधान सभा सीट है । पिछले 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने 6 सीटों पर अपना कब्ज़ा जमाया था। जबकि दो सीट सपा के खाते में गई थी । बिजनौर जिले की नूरपुर विधान सभा सीट से भाजपा विधायक लोकेन्द्र चौहान भारी मतों से जीत हासिल कर दो बार विधायक रहे। लेकिन 21 फरवरी 18 को लखनऊ जाते वक्त भाजपा विधायक लोकेन्द्र चौहान की सीतापुर ज़िले में सड़क हादसे में मौत हो गयी थी ।उनके असमय मौत से ये सीट खाली होने की वजह से 6 महीने के अंदर नूरपुर विधान सभा सीट पर उप चुनाव होने थे, जिसकी अभी हाल में चुनाव आयोग ने घोषणा करते हुए 28 मई को मतदान और 31 मई को मतगणना की घोषणा की है।
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चुनाव की तारीख घोषित होते ही सियासी गलियारों से लेकर चाय के होटलो में चाय की चुस्की मारते इलाके के लोग चुनावी चर्चा करते नज़र आ रहे हैं ।नूरपुर विधान सभा सीट की अगर बात करे तो यहाँ पर तीन लाख के करीब मतदाता है , जिसमें एक लाख से ज़्यादा मुस्लिम मतदाता है। जबकि दस हज़ार के करीब सिख समाज के लोग भी रहते हैं । वहीं, दलितों की संख्या भी अच्छी कासी है। ऐसे में अगर यहां भी सपा-बसपा गठबंधन कर चुनाव लड़ती है तो भाजपा को एक बार फिर से करारी हार का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, भाजपा समर्थकों की माने तो लोकेन्द्र चौहान बिना भेदभाव के सभी की मदद करते थे। लिहाजा, इलाके की जनता चाहत्ती है की उनके ही परिवार को अगर भाजपा के हाई कमान टिकट देते हैं तो भाजपा की जीत पक्की है ।
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हम आपको बता दे कि ज़िले की नूरपुर विधान सभा सीट से भाजपा विधायक लोकेन्द्र चौहान की सड़क हादसे में हुई मौत के बाद सियासत की गलियारों में उप चुनाव को लेकर चुनावी सरगर्मिया तेज़ हो गयी है। अलग-अलग पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवार के जीतने के दावे करते नज़र आ रहे । लेकिन ये तो वक़्त ही बताएगा कि जीत का सेहरा किस पार्टी के उम्मीदवार के सिर पर बंधेगा।
Published on:
28 Apr 2018 03:54 pm
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