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दिल्ली अग्निकांड: मौत से पहले मुशर्रफ ने दोस्त को रोते हुए किया फोन कहा-परिवार का ख्याल रखना, सुनें आखिरी इच्छा

Highlights

दोस्त से फोन पर हुई आखिरी बात सुनकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे
दिल्ली कांड में मरने वाले मुशर्रफ ने आग में फसने पर दोस्त को किया था आखिरी फोन
दोस्त को फोन पर परिवार का ध्यान रखने की करता रहा गुजारिश

बिजनोरDec 09, 2019 / 11:50 am

Nitin Sharma

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बिजनौर। दिल्ली के अनाज मंडी स्थित एक बैग बनाने की (Factory) फैक्ट्री में रविवार सुबह आग लगने की घटना ने लोगों को दहला कर रख दिया। घटनास्थल का मंजर ऐसा था कि हर कोई सन्न रह गया। इसमें अब तक 43 लोगों की (Death) मौत हो चुकी हैं। उधर रोते बिलखते परिजनों के बीच मौत से पहले रोते बिलखते बिजनौर के मुशर्रफ की आखिरी बार की बातचीत सामने आई है। जिसे सुनकर आप खुद को भावुक होने से नहीं रोक पाएंगे। यह आखिरी बातचीत आग में फंसे होने पर मुशर्रफ ने अपने दोस्त से की।

बिजनौर के टांडा माई दास का रहने वाला मुशर्रफ दिल्ली में 10 वर्षों रहता था। वह तीन साल से बैग बनाने की फैक्ट्री में काम करता था। मुशर्रफ की पत्नी इमराना, मां रहमत और बच्चे गांव में रह रहे थे। एक साल पहले ही मुशर्रफ के पिता की मौत हो गई थी। रविवार को दिल्ली स्थित फैक्ट्री में अचानक लगी (FIRE) आग से जहां हड़कंप मच गया। वही मुशर्रफ ने भी इसमें तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। मौत को सामने देख मुशर्रफ ने अपने परिवार की चिंता करते हुए पड़ोसी दोस्त मोनू को फोन किया। जिसका ऑडियो वायरल हो चला है। इतना ही नहीं इस ऑडियो को सुनते ही हर कोई हैरान और परेशान है।

सुबह चार बजे आग लगने पर मुशर्रफ फैक्ट्री की तीसरी मंजिल पर फंसा हुआ था। उसने भागने के लिए कोई जगह न मिलने व आग की लपटों में खुद को फंसा देखा। बिजनौर के पड़ोसी दोस्त मोनू को सुबह 4:30 बजे कॉल किया।

कॉल कर मुशर्रफ ने मोनू ने कहा– हेलो भैया मोनू मैं खत्म होने वाला हूं। करोल बाग आ जाना। गुलजार से नंबर ले लेना। भागने का कही रास्त नहीं है। आग लग गई है

मोनू- भाग तो निकल जा आग से, आग कैसे लग गई

मुशर्रफ- आज खत्म हूं भैया घर वालों का ध्यान रखना। तू ही है अब सांस नहीं लिया जा रहा। या अल्लाह

मोनू- फायर ब्रिगेड को कॉल कर दें। पानी वाली जो आग बुझा देगी।

मुशर्रफ- भाईया तू बस आ जाना सुबह, मेरे बच्चों और घरवालों का ध्यान रखना। किसी को एक दम से बताना नहीं। सभी बड़ों को बताना और लेने आ जाना कल।

मुशर्रफ- किसी और पर भरोसा नहीं था। तुझ पर ही भरोसा था। बच्चों ध्यान रखना। अब सास नहीं आ रहा।

मोनू- भाई फायर बिग्रेड वालों को कॉल दें। यह हो कैसे गया।

मुशर्रफ- बुरी तरह कराहते हुए घर वालों का ध्यान रखना। उनका मेरे अलावा कोई नहीं हैं। अब कारखाने में आग आ गई है। अब सांस नहीं आ रहा। अब यह आखिरी रास्ता है। पता निकालकर आ जाना भाई।

मोनू- बचने की कोशिश कर भाई कैसे भी कोशिश कर भाई कोई तो जगह होगी निकलने की।

मोनू- तू कौन से माले पर है।

मुशर्रफ- आज सुबह आग लगी है, तीसरे माले पर हूं। बस अब 2-4 मिनट हैं। आग की लपट आ गई है।

मुशर्रफ- भाई मेरा घर चला देना। मरने के बाद रहूंगा तुम्हारे पास ही, आज तक का ही समय था मेरे पास। भाई आने की तैयारी कर लो।

और फिर फोन कट गया।

वही सूचना मिलते ही परिजन दिल्ली पहुंचे। जहां से मुशर्रफ का शव लेकर दिल्ली पहुंचे। उधर गांव में शव पहुंचते ही परिवार में कोहराम मच गया। मुशर्रफ घर में अकेला कमाने वाला था। जिसकी दिल्ली अग्निकांड में मौत हो गर्इ।

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