
बिजनौर। आज के डीजिटल दौर में भले ही लोग मॉडरेट हो गए हैं। लेकिन कई लोगों की सोच आज भी बरसों पुरानी है। वर्तमान में सरकार द्वारा बेटे व बेटी में फर्क नहीं करने और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं पर आज भी कई लोग ऐसे हैं जो बेटी होने पर उसे नकार देते हैं।
ऐसे ही एक मामला बिजनौर जिले का सामने आया है। जहां एक पत्थर दिल पिता लड़की पैदा होने पर उसे रोता बिलखता अस्पताल में ही छोड़ कर अपने घर वापिस लौट आया। इतना ही नहीं, डिलेवरी के दौरान पत्नी भी इस दुनिया से चल बसी। अब सवाल इस बात का है की ये नवजात मासूम बच्ची किसे अपना परिवार कहेगी।
गौरतलब है कि तीन दिन पहले बिजनौर के फीना इलाके की रहने वाली ममता की डिलेवरी के दौरान तबियत अचानक बिगड़ गई थी। आनन-फानन में पति शीशपाल अपनी पत्नी को मेरठ इलाज के लिए अस्पताल ले गया । लेकिन बच्ची पैदा करने के बाद ममता ने दम तोड़ दिया। वहीं पत्थर दिल शीशपाल को जैसे ही भनक लगी की पत्नी ने बेटी को जन्म दिया है, तो वह अपनी फूल सी बेटी को अस्पताल में रोता बिलखता अस्पताल में छोड़ कर अपने घर लौट आया।
शीशपाल के मुताबिक वह अस्पताल से अपनी बेटी को नहीं लाना चाहता है। उसका कहना है चाहे वो ज़िंदा है या मुर्दा, उसे नहीं लाऊँगा। मेरी इतनी हैसियत नहीं कि उसका पालन पोषण कर पाऊ। बहरहाल, शीशपाल की शादी चार साल पहले हुई थी जिसका एक बेटा भी है।
उधर, मृतक ममता की मां मंजली चाहकर भी कुछ बोल नहीं पा रही है। अपनी बेटी की आखरी निशानी यानी नवासी को देखने की चाहत तो उसके दिल में है, लेकिन मज़बूरी के आगे अब वो भी बेबस नजर आ रही है। मृतक की मां से आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रोती बिलखती ममता की मां इतना जरूर कह रही है कि जब सब कुछ निपट गया तब शीशपाल ने सास को इत्तेला दी।
Published on:
05 May 2018 02:46 pm
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