
नूरपुर से सपा के लिए आ सकती है अच्छी खबर, ये समीकरण काम कर गया तो सपा की जीत तय
बिजनौर. जिले के नूरपुर विधानसभा चुनाव में 28 मई को मतदान होने के बाद 31 मई को मतगणना होनी है । मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि जनता ने इस क्षेत्र का जन प्रतिनिधि किसे चुना है, लेकिन चुनाव परिणाम आने से पहले ही इस सीट के दो प्रत्यशी अपनी-अपनी जीत को लेकर दावा कर रहे है। इस सीट पर बीजेपी ने दिवंगत बीजेपी विधायक लोकेंद्र चौहान की पत्नी अवनि सिंह को टिकट दिया थी। बीजेपी ने सहानुभूति की लहर में जीत मिलने की उम्मीद के साथ दिवंगत विधायक की पत्नी को टिकट दिया था। वहीं, सपा ने 2017 में इसी विधानसभा क्षेत्र से हारे नईम-उल-हसन पर एक बार फिर से विश्वास जताते हुए इस क्षेत्र में उपचुनाव में उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। नईम-उल-हसन को टिकट देने के पीछे इस सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय का होना बताया जा रहा है। बरहाल इस सीट को लेकर दोनों प्रत्यशी परिणाम से पहले अपनी जीत को लेकर दावे कर रहे हैं।
नूरपुर विधानसभा मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। इस सीट पर कुल 3 लाख 6 हज़ार के लगभग मतदाता है। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक एक लाख 22 हज़ार के लगभग है, जबकि दलित वोट इस सीट पर 40 हज़ार है। चौहान वोट की बात करे तो इस सीट पर 35 हज़ार चौहान है। जाट इस सीट पर लगभग 10 हज़ार है और सैनी लगभग 12 हज़ार है। इस सीट पर पिछली बार 12 हज़ार से बीजेपी विधायक लोकेंद्र चौहान ने तब जीत दर्ज की थी, जब यहां सपा और बसपा के दो मुस्लिम उम्मीदवारों में मतों का विभाजन हो गया था। 2017 के उस चुनाव में सपा के नईम-उल-हसन दूसरे नम्बर पर रहे थे, जबकि बसपा से गौहर इकबाल ने 40 हज़ार वोट लिये थे और वह तीसरे नंबर पर रहे थे। अब अगर उस चुनाव को आधार मानकर जीत का आंकड़ा देखें तो भाजपा विधायक के 12000 से जीत की तुलना में बसपा का 40000 वोट अगर नईम-उल-हसन के खाते में आ गई तो दिवंगत भाजपा नेता लोकेन्द्र चौहान की तुलना में नईमु-उल-हसन की बड़ी जीत होगी। गौरतलब है कि 2017 में 67 प्रतिशत मतदान इस सीट पर हुआ था और इस बार 62 प्रतिशत मतदान हुआ है।
अगर 2017 के चुनाव परिणाम को लेकर आकलन करे तो सपा, बसपा और अन्य प्रत्यशी को लेकर इस सीट पर लगभग 1 लाख 40 हज़ार मतदाताओं ने वोट किया था, जिसका फायदा अबकी बार सपा और गठबंधन प्रत्यशी को मिल सकता है। इस उपचुनाव में वोट परसेंटेज 62 प्रतिशत होने के कारण बीजेपी प्रत्यशी भी इस सीट पर मजबूत दिख रही हैं। भले ही दोनों पार्टी के प्रत्याशी इस सीट पर अपनी जीत का दावा कर रहे हो, लेकिन दलित मतदाता का रुझान जिस पार्टी प्रत्याशी के साथ होगा वो प्रत्यशी इस पर जीत दर्ज कर सकता है। बरहाल 31 मई को होने वाले मतगणना के बाद ही ये साफ हो पाएगा कि जनता पर ने किस पर फरोसा जताया है।
Published on:
30 May 2018 11:51 am
बड़ी खबरें
View Allबिजनोर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
