
UP Flood: मेरठ-बिजनौर में बाढ़ का कहर | Image Source - Social Media
UP Flood Meerut Bijnor News: उत्तर प्रदेश के मेरठ और बिजनौर जिलों में गंगा नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। बिजनौर बैराज से छोड़े गए पानी के कारण गंगा और सहायक नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है, जिससे हस्तिनापुर सहित कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। फसलें तबाह हो चुकी हैं, घर ढह गए हैं, और लोगों की दिनचर्या पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुकी है।
धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हस्तिनापुर इस समय गंगा की भीषण बाढ़ की चपेट में है। बुधवार रात 1 बजे के करीब बिजनौर बैराज से छोड़े गए 3.28 लाख क्यूसेक पानी ने मेरठ और बिजनौर के खादर क्षेत्रों में तबाही मचा दी। मवाना, हस्तिनापुर, फतेहपुर प्रेम, चेतावाला, गावड़ी, दूधली, और भीमकुंड जैसे गांवों का ज़मीन से संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
रातों-रात आई बाढ़ ने गांवों में तबाही मचा दी। खेत, सड़कें, और घर पानी में समा गए। कई छोटे बांध और संपर्क मार्ग तेज बहाव में बह गए हैं। सड़कों पर 2 से 3 फीट तक पानी भर चुका है, जिससे न पैदल चलना संभव है, न ही वाहनों की आवाजाही।
किसानों की सालभर की मेहनत गंगा की लहरों में बह गई है। मूंजी और गन्ने की फसलें पूरी तरह जलमग्न हो गई हैं। पशुओं के लिए चारा भी नहीं बचा है। इससे पशुपालक बेहद परेशान हैं। कई ग्रामीण अपने मवेशियों और जरूरी सामान को लेकर ऊंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
बिजनौर के मालन, कोटावली और रामगंगा नदियों में भी पानी का स्तर खतरे के पार पहुंच चुका है। नजीबाबाद, खैरुल्लापुर, कछियाना, टीला मंदिर और अजमल खां रोड जैसे इलाके पूरी तरह जलमग्न हैं। कई लोग छतों पर शरण लिए हुए हैं और गांवों में आवागमन के लिए नावें ही एकमात्र विकल्प रह गई हैं। नहटौर में गागन नदी का तटबंध टूटने से कई गांव डूब चुके हैं।
लगातार बारिश से बिजनौर में आठ मकान ढह गए, जिनमें एक तीन साल की बच्ची की मौत हो गई है। इस घटना में 20 लोग घायल हुए हैं। मेरठ-पौड़ी हाईवे और हरिद्वार-नजीबाबाद मार्ग जलभराव के कारण पूरी तरह ठप हो चुके हैं, जिससे राहत कार्यों में भी बाधा आ रही है।
बिजनौर का कोपा गांव भी अब खतरे में है। खो नदी के किनारे बनाए गए सुरक्षा स्टड बह चुके हैं। अब नदी का तेज बहाव सीधे गांव की ओर बढ़ रहा है। प्रीतमगढ़, रायपुर खादर, शेखूपुरा आलम और लाहककला जैसे गांवों का संपर्क टूट गया है, जिससे दहशत का माहौल है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन को बाढ़ की चेतावनी पहले से थी, लेकिन समय पर कोई प्रभावी तैयारी नहीं की गई। कई इलाकों में अब तक राहत शिविर, नाव और चिकित्सा टीम नहीं पहुंची है। प्रशासन दावा कर रहा है कि राहत कार्य जारी हैं, लेकिन हकीकत अलग नजर आ रही है।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने गंगा के जलस्तर को और खतरनाक बना दिया है। बिजनौर में गंगा खतरे के निशान से 20 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। प्रशासन को हर घंटे जलस्तर की निगरानी करनी पड़ रही है।
भूख-प्यास और बिना मदद के छतों पर दिन गुजार रहे लोग अब नाराज हैं। कई ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अभी तक कोई ठोस मदद नहीं मिली है। हालांकि, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें तैनात की जा चुकी हैं, लेकिन उनकी पहुंच हर गांव तक नहीं हो पा रही है।
Published on:
07 Aug 2025 07:39 am
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