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जिले में वर्ष 2009-10 से स्वीकृत सात वर्षीय जलग्रहण परियोजना में अब तक होने वाले वर्षा जल संरक्षण और प्रबंधन, कृषि वानिकी एवं उद्यानिकी, पशुधन विकास और भूमिहीन परिवारों को आजीविका साधन मुहैय्या करवाने के स्वीकृत कार्यों में से 60 फीसदी कार्य
ही हुए र्हं।
जिले की पांच पंचायत समितियों में प्रथम चरण में 2009-10 से सात वर्षों के लिए 535 करोड़ की योजना स्वीकृत की गई। इस योजना में वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद समय पर पैसा नहीं आता। न ही स्वीकृत 55 परियोजनाओं का समयबद्ध कार्य हो पा रहा है। चालू वर्ष का स्वीकृत पैसा नहीं मिला है। यह परियोजना चालू वित्तीय वर्ष में पूरी होनी है।
कार्य आधा अधूरा
जिले में कुल 50 जल ग्रहण परियोजना स्वीकृत है।
जलग्रहण कमेटियों तथा ग्राम पंचायत के सहयोग से जलग्रहण विकास का कार्य किया
जाता है। सभी परियोजनाओं में स्वीकृति पूरी धन राशि नहीं मिली है। इन कार्यों को करवाने के लिए अभी तक 75 कमेटियां गठित हुई हैं। छह पंचायतों में कमेटियों का गठन प्रक्रियाधीन है।
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जलग्रहण परियोजना की स्थिति
जिले की पांच पंचायत समितियों में 2009-10 में प्रथम चरण स्वीकृत किया गया। पहले चरण में 80 हजार हैक्टेयर में 120 करोड़ की लागत से जल ग्रहण विकास के काम होने थे। स्वीकृति वर्ष में इस मद में धन ही नहीं आया। देर से परियोजना की 20 फीसदी राशि प्रााप्त हुई। द्वितीय चरण (2010-11) में 15 परियोजनाओं के लिए 150.75 करोड़ की स्वीकृति हुई। इसमें भी 20 फीसदी राशि मिली।
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पूरा नहीं पहला, पहुंचे चौथे पर
तृतीय चरण 2011-12 में 19 परियोजनाओं के लिए 167.10 लाख की वित्तीय स्वीकृति मिली। इसमें 10 प्रतिशत राशि मिली। तीन चरणों की कुल 44 परियोजनाओं की डीपीआर स्वीकृत हो चुकी है। 2015-16 की 4975.28 लाख वार्षिक योजना प्रस्तावित है। पहले से दो चरणों के काम लंबित चल रहे होने के कारण अब तीसरे चरण में भी विलंब होगा।
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