पीबीएम अस्पताल में Nipah virus के मरीजों के आने की आशंका को देखते हुए पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। यहां स्वाइन फ्लू वार्ड को इसके लिए रिजर्व किया गया है। मरीजों की सभी जरूरी जांचें कराई जाएंगी। हालांकि निपाह वायरस की जांच की यहां कोई सुविधा नहीं है। मेडिसिन के डॉ. परवेज समेजा को नोडल ऑफिसर बनाया गया है।
ये हैं लक्षण
तेज बुखार व जांच में मलेरिया रिपोर्ट न होना, बहकी बातें करना, बेहोशी आना, असमंजस में रहना आदि। ये सावधानी रखें
वार्ड में नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सक ग्लव्स व मास्क पहन कर कार्य करें। स्वाइन फ्लू वार्ड में मरीज को रखने के साथ उसके संपर्क में आने वालों को भी सावधानियां और इसके खतरे से अवगत कराएं।
तेज बुखार व जांच में मलेरिया रिपोर्ट न होना, बहकी बातें करना, बेहोशी आना, असमंजस में रहना आदि। ये सावधानी रखें
वार्ड में नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सक ग्लव्स व मास्क पहन कर कार्य करें। स्वाइन फ्लू वार्ड में मरीज को रखने के साथ उसके संपर्क में आने वालों को भी सावधानियां और इसके खतरे से अवगत कराएं।
यह है निपाह वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। सबसे पहले १९९८ में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से इसका पता चला था। वहीं से इस वायरस को निपाह नाम मिला। साल २००४ में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए थे। जांच में पता चला कि कुछ लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को ले जाने वाली चमगादड़ थी, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक निपाह तेजी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है। सबसे पहले १९९८ में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से इसका पता चला था। वहीं से इस वायरस को निपाह नाम मिला। साल २००४ में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए थे। जांच में पता चला कि कुछ लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को ले जाने वाली चमगादड़ थी, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।
निपटने की तैयारी
इंसानों में निपाह इंफेक्शन से श्वांस से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है। इस बीमारी के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक निपाह वायरस का इंफेक्शन एंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिससे दिमाग को नुकसान होता है। स्वाइन फ्लू की व्यवस्था की तरह ही निपाह वायरस से निपटने की तैयारी की गई है।
डॉ. आरपी अग्रवाल, प्राचार्य, एसपी मेडिकल कॉलेज
इंसानों में निपाह इंफेक्शन से श्वांस से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है। इस बीमारी के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक निपाह वायरस का इंफेक्शन एंसेफ्लाइटिस से जुड़ा है, जिससे दिमाग को नुकसान होता है। स्वाइन फ्लू की व्यवस्था की तरह ही निपाह वायरस से निपटने की तैयारी की गई है।
डॉ. आरपी अग्रवाल, प्राचार्य, एसपी मेडिकल कॉलेज