कला एक सृजनात्मक अनुष्ठान है। सुनील रामपुरिया ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम नगर की सृजनात्मक विरासत को और आगे ले जाने की पहल है। उन्होंने कहा कि पाटा संस्कृति और संवाद-संस्कार को सकारात्मक सोच के साथ अपने जीवन व व्यवहार में ढालने वाले बीकानेर की अपनी एक अलग पहचान हैं।
राजेश रंगा ने कहा कि बीकानेर अपने बंकेपन के साथ साझा संस्कृति को तो जीता ही है, साथ ही चुनौतियों से संघर्ष करते हुए अपने समाजवादी सोच, आत्मसंतोषी और अपनेपन के जीवन व्यवहार को भी हर क्षण जीता है। कमल रंगा ने ऐतिहासिक संदर्भों को साझा करते हुए कहा कि बीकानेर अपने सकारात्मक सोच एवं समाजवादी विचाधारा के कारण अपनी एक अलग पहचान रखता है। हरिशंकर आचार्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर थार विरासत के सचिव शिवशंकर भादाणी ने
कला-प्रदर्शनी के माध्यम से जीवन के विभिन्न रंगों को देखने समझने के लिए लोगों से आह्वान किया। यह प्रदर्शनी 5 मई तक प्रतिदिन सुबह 11 से रात को आठ बजे तक रहेगी।
कला-प्रदर्शनी के माध्यम से जीवन के विभिन्न रंगों को देखने समझने के लिए लोगों से आह्वान किया। यह प्रदर्शनी 5 मई तक प्रतिदिन सुबह 11 से रात को आठ बजे तक रहेगी।