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शो पीस बन गई है करोड़ों की मशीनें, स्टोर में पड़ी लाखों की स्टेशनरी

एक साल बाद भी न मिला काम, न शुरू हुई प्रेस राजकीय मुद्रणालय - राज्य सरकार की मंजूरी के बाद भी शुरू नहीं हो रही बीकानेर राजकीय मुद्रणालयमार्च 2018 से मुद्रणालय में बंद है काम, बिना काम वेतन प्राप्त कर रहे कर्मचारी  

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शो पीस बन गई है करोड़ों की मशीनें, स्टोर में पड़ी लाखों की स्टेशनरी

शो पीस बन गई है करोड़ों की मशीनें, स्टोर में पड़ी लाखों की स्टेशनरी

विमल छंगाणी - बीकानेर. बीकानेर राजकीय मुद्रणालय में करोड़ों की मशीनें धूल फांक रही है। लाखों रुपए की तैयार स्टेशनरी का भी उपयोग नहीं हो रहा है। आधा दर्जन कर्मचारी बिना काम किए हर माह वेतन प्राप्त कर रहे है। रखरखाव के अभाव में मुद्रणालय की हैरिटेज बिल्डिंग में बारिश के दौरान पानी टपक रहा है। करीब एक साल पहले इस मुद्रणालय को शुरू करने का निर्णय लिए जाने के बाद भी इसे शुरू नहीं किया जा सका है। राज्य सरकार की मंजूरी के बाद भी बीकानेर मुद्रणालय के शुरू नहीं होने से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ रहा है। समय निकलने के साथ-साथ अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति पर गए मुद्रणालय के कर्मचारियों को अपने मूल विभाग में लौटने की उम्मीदें धूमिल होती नजर आ रही है।

साढ़े तीन साल से काम बंद

राजकीय मुद्रणालय को बंद करने के आदेश 01 अप्रेल 2018 को जारी किए गए थे। तब से इसमें काम बंद है। साढ़े तीन साल से एक भी मशीन को चालू नहीं किया गया है। मशीनें धूल के कारण पड़ी-पड़ी खराब हो रही है। बताया जा रहा है कि 60 लाख की एक मशीन, 40 - 40 लाख की दो मशीनें और 30 लाख की एक मशीन नई है। जिनका पूरा उपयोग ही नहीं हुआ है। वहीं और भी कई मशीनें है जो लाखो रुपए की है व बिना काम के खराब हो रही है। मुद्रणालय में वर्ष 1918 से वर्ष 2014 -15 तक की कई प्रिटिंग मशीनें है।

पचास फीसदी कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर
मुद्रणालय को बंद करने के दौरान कार्यरत कर्मचारियों में से 8 कर्मचारियों को कलक्टर कार्यालय बीकानेर, 11 कर्मचारियों को राजस्थान अभिलेखागार निदेशालय में प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया था। वहीं जयपुर प्रेस में 02 और जोधपुर प्रेस में 08 कर्मचारियों को भेजा गया था। कार्यरत कर्मचारियों में से 12 कर्मचारियों ने न्यायालय की शरण ली और स्टे प्राप्त किया। जो 12 कर्मचारी स्टे पर थे उनमें से दो कर्मचारियों की मृत्यु हो गई है, वहीं चार कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए है। अब प्रेस के 6 कर्मचारियों सहित एक वरिष्ठ सहायक प्रेस में कार्यरत है।

न चौकीदार न स्टोर कीपर

राजकीय मुद्रणालय में करोड़ो की मशीनों सहित अन्य उपकरण और लाखो की स्टेशनरी होने के बाद इनकी सुरक्षा राम भरोसे है। बताया जा रहा है कि बीकानेर राजकीय मुद्रणालय में न चौकीदार तैनात है और ना ही स्टोर कीपर। करीब साढे़ तीन साल पहले स्टोर में रखी गई तैयार स्टेशनरी की एक बार भी सार संभाल नहीं की गई है। संभव है स्टेशनरी खराब हो रही हो। वहीं मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग के आला अधिकारी भी बीकानेर राजकीय मुद्रणालय की सुध नहीं ले रहे है।

डॉ.कल्ला की अध्यक्षता में हुई थी बैठक

मार्च 2018 से बंद चल रही बीकानेर राजकीय मुद्रणालय को पुन: शुरू करने के लिए ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला की अध्यक्षता में शासन सचिवालय में हुई बैठक में सितम्बर 2020 में बीकानेर राजकीय मुद्रणालय को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया था। राजकीय मुद्रणालय संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रेम रतन जोशी के अनुसार राज्य सरकार की मंजूरी मिलने से कर्मचारियों को इस प्रेस के शुरू होने की उम्मीद जगी थी। खुशियां मनाई थी। मंत्री डॉ. कल्ला ने मुख्यमंत्री का आभार भी जताया था, लेकिन एक साल बाद भी प्रेस के शुरू नहीं होने से अब कर्मचारी निराश है।

आदेश की अवहेलना
राज्य सरकार ने एक साल पहले बीकानेर राजकीय मुद्रणालय को खोलने का निर्णय लिया था। अब तक न मुद्रणालय को पुन: शुरू किया गया है और ना ही प्रतिनियुक्ति पर गए कर्मचारियों को मुद्रणालय में पदस्थापित किया गया है। यह सरकार के आदेश की अवहेलना है। मशीनें खराब हो रही है। स्टोर में स्टेशनरी बिना काम आए पड़ी है। चौकीदार और स्टोर कीपर तक नहीं है। मुद्रणालय शुरू नहीं होने से कर्मचारियों में रोष बढ़ रहा है।

प्रेम रतन जोशी, अध्यक्ष बीकानेर राजकीय मुद्रणालय संघर्ष समिति