
परीक्षाएं सिर पर हैं घबराए नहीं, ऐसे मिलेगी सफलता
बीकानेर। कोरोना महामारी और ऑनलाइन क्लासेज़ के बाद अब परीक्षाएं सिर पर हैं. इन दोनों समस्याओं के साथ ही परिजनों द्वारा उच्च अंक प्राप्ति का दबाव विद्यार्थियों के तनाव में अभूतपूर्व बढ़ोतरी कर रहा है. ऐसे में विद्यार्थी आत्मविश्वास की कमी के कारण टेस्ट एंग्जायटी का शिकार हो रहे हैं. टेस्ट एंग्जायटी से त्रस्त विद्यार्थी नींद नहीं आने, सब कुछ भूल जाने या अत्यधिक तनाव के चलते अवसादग्रस्त रहने की समस्या से पीड़ित रहने लगता है. भारत में लगभग सोलह से बीस फीसदी विद्यार्थी इस डेसट्रक्टिव एंग्जायटी से पीड़ित हैं. माता पिता की अनंत अपेक्षाएं, रिश्तेदारों के तानों, हर परीक्षा में प्रथम आने के दबाव, माता पिता द्वारा संतान को सर्वगुणसंपन्न संपन्न बनाने की गलत इच्छा के चलते विद्यार्थियों में परीक्षा को लेकर तनाव बढ़ रहा है.
क्या कहते हैं आंकड़े और शोध:
• एनुअल एजुकेशन ऑफ़ स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के इस भयावह काल में विद्यार्थियों की लर्निंग में गिरावट हुई है और बच्चों में पढ़ पाने और अंकगणित के सामान्य सवालों को हल करने की गति बाधित हुई है.
• इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार उन्नीस वर्ष से कम आयु के लगभग दस से तेरह फीसदी बच्चे मानसिक विकारों से ग्रस्त हैं क्योंकि उनपर अनेकानेक दबाव हैं.
• क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में देश में हर रोज़ 28 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की.
• एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थियों में तनाव के चलते आत्महत्या की प्रवृत्ति जन्म लेती है.
• तिहत्तर फीसदी साक्षरता वाले इस देश में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर सिर्फ 24.5 फीसदी है और इसके नेपथ्य में भी परीक्षाओं का दबाव ही है.
कोरोना काल में विद्यार्थियों का तनाव दूर करने हेतु सरकार के प्रयास प्रशंसनीय हैं. यूजीसी द्वारा स्टूडेंट्स काउन्सलिंग केन्द्रों की स्थापना, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूलिंग द्वारा निष्ठा नामक स्टूडेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत योग ध्यान आदि का प्रशिक्षण और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एज्युकेशन द्वारा हज़ारों शिक्षकों को प्रशिक्षित कर विद्यार्थी तनाव दूर करना अच्छे प्रयासों को दर्शाता है.
क्या है परीक्षा :
परीक्षा एक क्विज़ गेम से ज़्यादा कुछ नहीं और परीक्षा के प्राप्तांक जीवन की सफलता का एकमात्र आधार नहीं हो सकते. यह एक युनिवर्सल ट्रुथ है. मस्तिष्क कई सुपर कम्प्यूटर्स से भी ज़्यादा तेज़ और बेहतर है क्योंकि वो 30 लाख बिट्स की सूचना एक सेकंड में याद रख लेता है. मात्र बीस फीसदी सिलेबस से पूछे गए प्रश्नों के आधार पर ज्ञान का सम्पूर्ण मूल्यांकन नहीं हो सकता अतः परीक्षा से नहीं घबराएं.
कैसे दूर करें परीक्षा का भय?
तीन आर के आधार पर की गई तैयारी, परीक्षा के तनाव को कम कर सकती है.
• रिसीविंग : रिसीविंग अर्थात विषय को पढ़ना, समझना और मस्तिष्क में ग्रहण करना. स्पंज पानी सोंखता है, लोहा नहीं. अतः नया सीखने हेतु मस्तिष्क को स्पंज की भाँति खुला और सोंख सकने के लायक बनाइये.
• रिमेम्बर: रिमेम्बर से अभिप्राय है याद रखना. याद वही रहता है जिसमे दिलचस्पी हो. शोध के अनुसार, व्यक्ति किसी पढ़ी या सुनी गई बात का 47 फीसदी कंटेंट तो पहले बीस मिनिट में ही भूल जाता है. अतः मैमोरी बिल्डिंग हेतु अभ्यास ज़रूरी है.
• रिविज़न: रिविज़न का अर्थ है दोहराना, बारम्बार पढ़ना और याद रखने की दिशा में प्रयास करना. शोध के अनुसार भावनाओं से जुडी बातें सबसे जल्दी याद होती हैं.
परीक्षा की तैयारी और मैमोरी बिल्डिंग के टूल्स:
• माइंड मैप्स: माइंड मैप से अभिप्राय है कि एक सादे कागज़ के बीचों - बीच विषय को लिखना और उस मूल विषय के चारों ओर विषय से जुड़े प्रमुख पॉइंट्स को सूचीबद्ध करना ताकि रिविज़न के समय वे मुख्य बिंदु आपको याद आ जायें. उदाहरण के लिये आपका विषय है गांधीजी का दर्शन. गांधीजी के चारों ओर ट्रस्टीशिप, सत्य, अहिंसा, ग्राम स्वराज्य, आदि लिखें और इनके प्रमुख बिंदु नोट कर लें.
• स्पाइडर नोट्स: स्पाइडर नोट्स पोस्टकार्ड्स पर बनाये जाने वाले प्रमुख बिंदु हैं. प्रत्येक प्रश्न के लिये एक कार्ड पर प्रमुख बिंदु, डायग्राम, रेफरेंस आदि अलग - अलग रंग की स्याही से लिख कर तैयार कर लें. याद रखने की अच्छी तकनीक है.
• रिकॉर्डिंग्स: विषय की जानकारी को मोबाइल में रिकॉर्ड करके सुनना भी अच्छा विकल्प है.
अच्छे मार्क्स के लिये परीक्षा कक्ष में क्या करें?
• बीस मिनिट पहले पहुंचकर रोल नम्बर आदि सावधानी से भरें, प्रश्न पत्र के निर्देशों को ध्यान से पढ़ें और जो प्रश्न आते हों पहले उन्हें ही करें.
• अलग - अलग स्याही के उपयोग से बचें क्योंकि इससे थॉट प्रोसेस डिस्टर्ब होता है.
• इंटरवल तकनीक का इस्तेमाल करें. इंटरवल से अभिप्राय है प्रत्येक उत्तर के समाप्त होने के बाद दो लाइन का स्थान छोड़ें ताकि परीक्षक समझ सके कि उत्तर समाप्त हो गया है. ज़्यादा अंडरलाइन नहीं करें.
• गलत उत्तर को तब तक नहीं काटें जब तक कि उसे दोबारा पूरी तरह से पूर्ण न कर दिया गया हो.
• समझाइश के साथ जितने ज़्यादा डायग्राम्स या चित्र बना सकें उतना बेहतर है.
• नींद पूरी करें, मस्तिष्क को आराम दें, हल्का भोजन करें और प्रत्येक प्रश्न हल करने के बाद खुद से कहें कि यस आई कैन.
पाठ्यक्रम की परीक्षाओं की जीवन की अंतिम परीक्षा समझने की भूल न करें. जमे रहें जुनून के साथ.
( डॉ. गौरव बिस्सा )
Published on:
26 Mar 2021 12:29 pm
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