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सूखी सब्जियों को ज्यादा चाव से खाने लगे लोग

- कोरोना के चलते होटल-रेस्टोरेंट में मांग घटी, घरेलू उपयोग में मांग बढ़ी  

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सूखी सब्जियों को ज्यादा चाव से खाने लगे लोग

सूखी सब्जियों को ज्यादा चाव से खाने लगे लोग

बीकानेर. कोरोनाकाल में कई चीजों में बदलाव देखने को मिला है। इस दौरान जहां घरों में रोजाना बनने वाले खाने में भी कई बदलवाव देखने को मिले है। लॉकडाउन में घरों हरी सब्जियों की जगह गृहणियां सूखी सब्जियां ज्यादा बना रही है। बाजार में भी सूखी सब्जियों की मांग में बढ़ोतरी देखने को मिली है। सूखी सब्जियों में केर, सांगरी की मांग सबसे ज्यादा है। हालांकि सभी तरह के काम धंधे चोपट हो जाने से अधिकांश बेरोजगार हरी सब्जी का ठेला ही लगा रहे है। एेसे में हरी सब्जी की उपलब्धता घर के आस-पास ही हो रही है। फिर भी लोग कोरोना से बचाव के लिए भी बाहर का सामान कम से कम उपयोग करने लगे है।

इन सब्जियों की मांग

लॉकडाउन के चलते लोग घरों से बाहर कम ही निकलते है। ऐसे में जब भी बाजार जाते है तो सूखी सब्जियों की खरीदारी करते है। स्थानीय दुकानदारों की माने तो इन दिनों सूखी सब्जियों की डिमांड की जा रही है। ऐसे में लोग कैर, सांगरी व कुमटिया सहित अन्य सब्जियों की मांग कर रहे है। महिलाएं घरों में ही कैर-सांगरी का आचार भी तैयार कर रही है। जिसके चलते भी इनकी मांग बढ़ी है।

बढ़ी आवक

स्थानीय व्यवसायी भागीरथ राठी ने बताया की पिछले साल के मुकाबले इस साल सांगरी की आवक में इजाफा हुआ है। इसकी घरेलू मांग भी बढ़ी है। बाजार में आने वाले लोग सूखी सब्जियों की डिमांड कर रहे है। होटल-रेस्टोरेंट और विवाह समारोह बंद होने से वहां खपत होने वाली सूखी सब्जी अब खपत नहीं हो रही।

सूखी सब्जियों का महत्व बढ़ा

लॉकडाउन में जहां हरी सब्जियों की आपूर्ति कम हो रही है। ऐसे में रसोई में सूखी सब्जियों का उपयोग कर रहे है। जैसे सांगरी, कैर, फोफलियां, खेलरा सहित अन्य सब्जियों का उपयोग कर रहे है। साथ ही सूखी सब्जियों का उपयोग करना लाभदायक है।

- ममता राठी, गृहणी

बाजार में यह है भाव

सांगरी- 600 से 800 रुपए प्रति किलो
कैर - 700 से 1200 रुपए प्रति किलो

काचरी - 140 रुपए प्रति किलो तक
सूखी फली- 400 से 700 रुपए प्रति किलो

फोफलिया- 200 रुपए प्रति किलो तक