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भरत व्यास के गीतों में राजस्थान की माटी की महक

जागती जोत के पंडित भरत व्यास विशेषांक का विमोचन  

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भरत व्यास के गीतों में राजस्थान की माटी की महक

भरत व्यास के गीतों में राजस्थान की माटी की महक

बीकानेर. राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के गीतकार पंडित भरत व्यास विशेषांक का विमोचन शुक्रवार को हुआ। कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग मंत्री डॉ.बुलाकी दास कल्ला ने विशेषांक का विमोचन करने के अवसर पर कहा कि मरुधरा के अमर गीतकार पंडित भरत व्यास के गीतों में राजस्थान की माटी की महक है और भक्ति, शक्ति व प्रेम के साक्षात दर्शन होते हैं।

डॉ.कल्ला ने कहा कि व्यास के गीत हम सभी में सदैव नई ऊर्जा का संचार करते हैं। जयपुर निवास पर विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पंडित व्यास एक सफल गीतकार होने के साथ-साथ बेहतरीन अभिनेता, निर्देशक, संगीतकार, कथाकार ,रंगकर्मी और आशुकवि भी थे। डॉ.कल्ला ने कहा कि इस विशेषांक के माध्यम से पंडित व्यास की ओर से रचित साहित्य के संबंध में विशेषकर युवा पीढ़ी को महती जानकारी और प्रेरणा मिल सकेगी।

डॉ.कल्ला ने कहा कि पंडित भरत व्यास ने बीकानेर, चूरू, कोलकाता में रंगकर्मी के रूप में अपनी अनूठी छाप छोड़ी। बाद में वे मुंबई गए व कई हिन्दी व राजस्थानी फिल्मों में कालजयी गीतों की रचना की। व्यास की ओर से लिखे गए गीत एे मालिक तेरे बंद हम, जरा सामने आओ छलिए, आ लौट के आजा मेरे मीत, आधा है चंद्रमा रात आधी, यह कहानी है दीये की ओर तूफान की सहित कई गीतों की रचना की, जो वर्षो बाद भी प्रासंगिक और मंत्रमुग्ध कर देते है।

अकादमी सचिव शरद केवलिया के अनुसार जागती जोत के जनवरी के इस विशेषांक में देश के राजस्थानी साहित्यकारों के पंडित भरत व्यास के व्यक्तित्व -कृतित्व पर आधारित आलेख, गीत, अनुवाद आदि सम्मिलित किए गए हैं।