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यहां सर्व कार्य सिद्धि के लिए मिट्टी से बनाते हैं सवा लाख पार्थिव शिवलिंग

एक्सप्लेनर : शिव माह सावन में होता है पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन अनुष्ठान

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यहां सर्व कार्य सिद्धि के लिए मिट्टी से बनाते हैं सवा लाख पार्थिव शिवलिंग

यहां सर्व कार्य सिद्धि के लिए मिट्टी से बनाते हैं सवा लाख पार्थिव शिवलिंग

भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए धर्मशास्त्र में अभिषेक, शिव मंत्र जाप के साथ-साथ अनेक प्रकार के शिवलिंगों की अर्चना का महत्व शिव पुराण में बतलाया गया है। स्वर्ण, रजत, गंध, बाणलिंग, स्फटिक शिवलिंग पूजा के साथ ही शिव पुराण में पार्थिव (मिट्टी) शिवलिंग निर्माण पूजन का विशेष महत्व की जानकारी मिलती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का पूजन भक्त की हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला होता है। पार्थिव शिवलिंग का पूजन कभी भी किया जा सकता है, लेकिन सावन, कार्तिक, फाल्गुन मास में इसका अत्यधिक महत्व है। ब्रह्मा की आज्ञा से सर्वप्रथम अश्विनी कुमारों की ओर से पार्थिव शिवलिंग पूजन की जानकारी मिलती है।

सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण पूजन अनुष्ठान क्या है

जवाब- शिव भक्त इच्छित मनोकामना की पूर्ति व सुख समृद्धि की कामना को लेकर सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण पूजन अनुष्ठान करते है। इसमें मिट्टी व इसमें कई प्रकार के द्रव्य व पदार्थ मिलाकर छोटे-छोटे शिवलिंग का निर्माण प्रतिदिन किया जाता है। बनने वाले शिवलिंग का अभिषेक-पूजन उसी दिन किया जाता है। सावन में 30 दिन में सवा लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण व पूजन होने के साथ-साथ शिवभक्त शिव मंत्र का जाप भी करते रहते है।

पार्थिव शिवलिंग मिट्टी में किन द्रव्यों व पदार्थों को मिलाकर तैयार किए जाते है

जवाब- पार्थिव शिवलिंग तालाब की मिट्टी से बनाए जाते है। मिट्टी को कूटकर व छानकर उसमें इत्र, गुलाब जल, पुष्प, गोबर, यव गोधूम, वंश लोचन, गुड, चावल का चूर्ण, घी, मक्खन, भस्म आदि मिलाकर मिट्टी को तैयार किया जाता है। अलग-अलग मनोकामना को लेकर मिट्टी में अलग-अलग द्रव्य व पदार्थ मिलाए जाते हैं। इस मिट्टी से छोटे-छोटे आकार के शिवलिंग बनाए जाते हैं।

पार्थिव शिवलिंग निर्माण की मिट्टी में कौनसा द्रव्य या पदार्थ मिलाकर शिवलिंग बनाने का क्या लाभ है

जवाब - पार्थिव शिवलिंग निर्माण की मिट्टी में गंध मिलाने से शिव सायुज्य की प्राप्ति होती है। मिट्टी में पुष्प मिलाने से भूमि प्राप्ति, भूमि आधिपत्य लाभ, मिट्टी में गोबर मिलाने से ऐश्वर्य की प्राप्ति, यव गोधूम मिलाने से श्री पुष्टि एवं संतान प्राप्ति, वंश लोचन, चावल का चूर्ण मिलाने से वंश वृद्धि होती है। मिट्टी में भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाने से सर्वकार्य की सिद्धि, मिट्टी में मक्खन मिलाकर शिवलिंग बनाने से कीर्ति एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सर्व कार्य सिद्धि के लिए मिट्टी में गाय का गोबर, गुड, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग निर्माण सर्वेोत्तम बताया गया है।

रोज कितने पार्थिव शिवलिंग का निर्माण, पूजन होता है

जवाब- सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन और अभिषेक को लेकर शिवभक्त संकल्पबद्ध होते है। सावन के तीस दिन अनुसार प्रतिदिन लगभग 4200 शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। मिट्टी से बनाए गए पार्थिव शिवलिंग की विधिपूर्वक प्राण प्रतिष्ठा कर उस पर दूध, दही, घी, शहद, चीनी, पंचामृत का अभिषेक किया जाता है।

पार्थिव शिवलिंग निर्माण-अनुष्ठान कहां होते हैं

जवाब- सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन अनुष्ठान शिवालयों, मंदिरों, बगीचीयों, मठों, सार्वजनिक स्थानों और घरों में होते हैं। यहां शिवभक्त सामूहिक रूप से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पूजन करते हैं। इनमें बालक-बालिकाएं भी उत्साह के साथ शामिल होते हैं।

अनुष्ठान की पूर्णाहुति के बाद पार्थिव शिवलिंग का क्या होता है

जवाब- सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण, अभिषेक और पूजन अनुष्ठान की पूर्णाहुति के बाद सभी पार्थिव शिवलिंगों का विधिपूर्वक पवित्र नदी या पवित्र सरोवर में विसर्जन किया जाता है।

पार्थिव शिवलिंग का पूजन-अनुष्ठान क्यों होता है

शिव भक्त भगवान शंकर की प्रसन्नता के साथ-साथ शिव सायुज्य प्राप्ति, भूमि प्राप्ति, भूमि आधिपत्य लाभ, ऐश्वर्य प्राप्ति, श्री पुष्टि एवं संतान प्राप्ति, वंशवृद्धि, कीर्ति एवं सौभाग्य प्राप्ति, सर्व कार्य सिद्धि के लिए पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजन व अनुष्ठान करते हैं। कलियुग में कूष्मांडा ऋषि ने पार्थिव शिवलिंग का पूजन प्रारंभ करवाया था। शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग पूजन से धन-धान्य, आरोग्य एवं मन वांछित फल की प्राप्ति होती है। मिट्टी के शिवलिंग की पूजा से सर्वकार्य की सिद्धि होती है।

किस प्रकार तैयार होते हैं पार्थिव शिवलिंग

पार्थिव शिवलिंग निर्माण के लिए सर्वप्रथम पवित्र जलाशय की मृदा (मिट्टी) का पूजन उसमें अनेक प्रकार के सुगिन्धत द्रव्य मिलाकर अगुष्ठ पर्यन्त माप और उससे भी छोटे आकार के शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। मिट्टी तौलकर ग्रहण किया जाता है।