
पोटाश खनन ही खाद संकट से दिलाएगा स्थाई मुक्ति, टेंडर करने के बाद अब अगले चरण पर काम शुरू
-दिनेश स्वामी
बीकानेर. रबी की फसल बुवाई के सीजन में डीएपी समेत अन्य खादों के लिए मारामारी मची हुई है। एेसा हर साल खाद बनाने के कच्चे माल पोटाश आदि के लिए विदेश पर निर्भरता का होना है।
खाद संकट से स्थाई छुटकारा पाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने बीकानेर-हनुमानगढ़ जिले में पोटाश खनन के लिए कार्रवाई तेज कर दी है। यहां भूगर्भ में मौजूद २४ हजार मिलियन टन पोटाश को घोलकर जमीन से बाहर निकाला जाएगा। भूगर्भ में पोटाश ६०० मीटर तक गहराई में होने के चलते खनन के लिए सोल्यूशन माइनिंग तकनीक के लिए टेंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं।
प्रदेश के भूगर्भ के खजाने में मौजूद पोटाश तक पहुंचने के लिए पाताल तोड़ तकनीक से छेद किया जाएगा। सोल्यूशन माइनिंग तकनीक में सोडियम क्लोराइड को पानी के साथ गर्म कर पाइपों से जमीन में पम्पिंग किया जाएगा। दूसरे पाइपों से पानी को बाहर निकालकर उसमें से पोटाश को अलग किया जाएगा। इस कार्य के लिए टेंडर की तकनीकी बिड २५ अक्टूबर के बाद खोली जाएगी।
अभी तक यह प्रक्रिया
साल के शुरुआत में २१ जनवरी को भारत सरकार की शत-प्रतिशत भागीदारी वाले मिनरल एक्प्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल), राज्य सरकार के राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल कॉरपोरेशन (आरएसएमएमएल) तथा माइंस एंड स्टेट जियोलॉजी राजस्थान (डीएमजी) के बीच एमओयू हो चुका है। तीनों उपक्रम संयुक्त रूप से पोटाश खनन के लिए जारी संयुक्त टेंडर की तकनीकी बिड १८ सितम्बर को खोलनी थी। जिसकी तारीख आगे बढ़ाकर अक्टूबर में रखी गई है।
आगे यह होगा
कनाड़ा, रूस और जर्मनी समेत कुछ देशों में सैकड़ों मीटर गहराई से खनिज को बाहर निकालने के लिए सोल्यूशन माइनिंग तकनीक को अपनाया जाता है। इसी तकनीक से ६०० मीटर गहराई में पड़े पोटाश को अंदर ही घोलकर तरल रूप में बाहर निकाला जाएगा।
यहां पर पोटाश निकालने का प्रयोग
हनुमानगढ़ जिले के सतीपुरा क्षेत्र को भौगोलिक रूप से पोटाश खनन के लिए चुना गया है। साथ ही बीकानेर जिले में लूणकरनसर व श्रीडूंगरगढ़ के लखासर व जैतपुर के क्षेत्र चिह्नित किए गए है। इन जगहों पर पायलट स्केल प्लांट लगाए जाने है। आठ पोटाश भंडारण डिपो बनाए
जाने हैं।
पोटाश खनन से देश-प्रदेश को यह फायदा
वर्तमान में देश को सालाना १० से १५ हजार करोड़ रुपए का खर्च विदेश से आयात करने आदि पर खर्च होता है। राजस्थान में मिला २४७६ मिलियन टन पोटाश विश्वभर में उत्पादन का पांच गुणा है।
किसानों को हर साल सीजन में खाद और फर्टिलाइजर के लिए परेशान होता है। पोटाश उत्पादन से यहां फैक्ट्रियां लगेगी और प्रदेश के किसानों को भरपूर खाद उपलब्ध होगी।
केमिकल, ग्लास और एक्सलोसिव निर्माण में पोटाश का उपयोगा होगा। बीकानेर का क्षेत्र इसके हब के रूप में विकसित होगा।
पचास साल से चल रहे प्रयास : 1974 से 2021 तक पोटाश की खोज से लेकर खनन तक
-पोटाश खनन का पता लगाने के लिए पहली बार १९७४ से १९९१ तक जीएसआइ ने पचास बोरवेल ड्रिल किए। साथ ही कई भौगोलिक अध्ययन किए गए। तब राजस्थान के भूगर्भ में करीब २४०० मिलियन टन पोटाश होने की रिपोर्ट सामने आई।
-ओएनजीसी ने २००७-०८ में एक हजार मीटर गहराई के तीन कुओं और एक कुआं २८० मीटर गहराई तक का खोदा गया। इसके साथ ही पता चला कि यहां जल स्तर ३० से ६५ मीटर है।
-वर्ष २०१७ में भारतीय भू विज्ञान सर्वेक्षण (जीएसआइ) व मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन (एमईसीएल) ने हनुमानगढ़ के सतीपुरा के झंडेवाला क्षेत्र में ६५० मीटर गहराई तक बोरवेल कर पोटाश की मौजूदगी का सर्वे किया। बीकानेर जिले में श्रीडूंगरगढ़ ओर हनुमानगढ़ के रावतसर क्षेत्र में भी बोरवेल कर सर्वे किया गया।
Published on:
23 Oct 2021 12:25 pm
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