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तब फहरा दिया लाल चौक पर तिरंगा

एडवोकेट अशोक कुमार भाटी, सदस्य, राष्ट्रीय तिरंगा यात्रा 2011बात हो रही है मुल्क के सरताज राज्य जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक व सामाजिक स्थिति की। एक ही देश में दो ध्वज एवं दो विधान कल तक वहां लागू थे, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। आने वाले कल में जम्मू-कश्मीर की फिजां भी बदल जाएगी। बात 26 जनवरी, 2011 की है, वो खौफनाक मंजर आज भी जहन में आता है, तो रूह कांपने लगती है। क्योंकि भारत देश में तिरंगा फहराने की सजा जो मिली थी।

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tiranga yatra in kashmir

तब फहरा दिया लाल चौक पर तिरंगा

एडवोकेट अशोक कुमार भाटी, सदस्य, राष्ट्रीय तिरंगा यात्रा 2011
बात हो रही है मुल्क के सरताज राज्य जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक व सामाजिक स्थिति की। एक ही देश में दो ध्वज एवं दो विधान कल तक वहां लागू थे, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। आने वाले कल में जम्मू-कश्मीर की फिजां भी बदल जाएगी। बात 26 जनवरी, 2011 की है, वो खौफनाक मंजर आज भी जहन में आता है, तो रूह कांपने लगती है। क्योंकि भारत देश में तिरंगा फहराने की सजा जो मिली थी।

जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर का हृदय स्थल लाल चौक। जो कश्मीर की सभी सियासी गतिविधियों एवं अलगाववादियों की गतिविधियों का केन्द्र था। वहां आज तक १५ अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा उत्सव की जगह कफ्र्यू का माहौल और 14 अगस्त को पाकिस्तानी झंडा जश्न के साथ फहराने की परम्परा थी। भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से इसको बदलने का आह्वान किया गया। इस मुहिम को अमलीजामा पहनाने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व ने देशभर से 11 युवाओं को चुना। उनमें से नौ युवा राजस्थान से थे। उस टीम में तीन युवा बीकानेर के भाजपा कार्यकर्ता थे। मैंने भी लाल चौक में तिरंगा फरहाने वाली टोली के साथ अहम भूमिका निभाई। हलांकि इसके लिए श्रीनगर के राममुन्शी बाग थाने में पुलिस ने जो यातनाएं हमें दी, उसे याद कर आज भी दिल घबरा जाता है। लेकिन मन में उत्साह है, खुशी है, गर्व की अनुभूति होती है कि आठ साल पहले लाल चौक में तिरंगा झंडा फहरा दिया था।

जब श्रीनगर पहुंचे तो एयरपोर्ट पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था एवं तिरंगे की कड़ी जांच के बीच दिल्ली की बहन शिखा रॉय ने डल झील तक झंडा पहुंचाने में सहासी भूमिका निभाई। दिल्ली के साथी सरदार आरपी सिंह ने दोपहर करीब दो बजे कफ्र्यू खत्म होने और इनटरनेट सुविधा शुरू होते ही हमसे सम्पर्क साधा। हरावल दस्ते के सभी 11 सदस्यों का श्रीनगर में ही शंकराचार्य की तपोस्थली के अग्नि कुंड पर मिलना तय हुआ। राष्ट्रस्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक सम्र्पूण रणनीति की धुरी थे। नियत अवधि में हम डल झील से पैदल लाल चौक क्षेत्र पहुंच गए। वहां सुरक्षा बेरिकेड्स को पार करते ही बहन शिखा रॉय ने तिरंगा झंडा निकाल कर युवा मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष जितेन्द्र मीणा को फहराने के लिए सौंप दिया। साथी लोकेन्द्र सिंह राजावत (कोटा), भूपेन्द्र चौधरी (अलवर), विरेन्द्र सिंह खींची (उदयपुर), हरेन मिश्रा (जयपुर) एवं बीकानेर के साथी विजय उपाध्याय, विनोद रावत ने भी कदम ताल मिलाई। भारत माता की जय एवं वंदेमातरम के नारे से लाल चौक को गुंजायमान कर दिया। लेकिन थाने में तिरंगा फहराने की एेसी सजा मिली कि उसे भुला नहीं पाएंगे।

सोमवार को जब सदन में धारा 370 हटाने का संकल्प रखा गया तो पुराने साथियों के फोन घनघनाने लगे। शायद यह वो पल था, जिसका सपना हमने आठ साल पहले देखा था।