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bikaner Ground Report: भाजपा को हारी सीटे छीनने और कांग्रेस को मौजूदा सीटें बचाने में आ रहा पसीना

इस चुनाव में कांग्रेस के तीनों मौजूदा मंत्री भी कड़ेे मुकाबले में फंसे हैं। तीनों दिग्गजों को अपनी-अपनी सीट पर भाजपा की कड़ी टक्कर मिल रही है। दूसरी तरफ भाजपा का ज्यादा जोर पिछले चुनाव में हारी चार सीटों पर हैं। स्टार प्रचारकों के चुनावी कैम्पेन की बात करें तो कांग्रेस के मुकाबले भाजपा भारी पड़ रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पिछले चुनाव में माकपा के खाते में आई श्रीडूंगरगढ़ सीट को अपने खाते में लाने के लिए जोर लगा रहे हैं।

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bikaner Ground Report: भाजपा को हारी सीटे छीनने और कांग्रेस को मौजूदा सीटें बचाने में आ रहा पसीना

bikaner Ground Report: भाजपा को हारी सीटे छीनने और कांग्रेस को मौजूदा सीटें बचाने में आ रहा पसीना

विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए तीन दिन का समय ही बचा है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक चुके हैं। निर्दलीय व तीसरे मोर्चे के प्रत्याशी दोनों दलों की राह मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। इस चुनाव में कांग्रेस के तीनों मौजूदा मंत्री भी कड़ेे मुकाबले में फंसे हैं। तीनों दिग्गजों को अपनी-अपनी सीट पर भाजपा की कड़ी टक्कर मिल रही है। दूसरी तरफ भाजपा का ज्यादा जोर पिछले चुनाव में हारी चार सीटों पर हैं। स्टार प्रचारकों के चुनावी कैम्पेन की बात करें तो कांग्रेस के मुकाबले भाजपा भारी पड़ रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पिछले चुनाव में माकपा के खाते में आई श्रीडूंगरगढ़ सीट को अपने खाते में लाने के लिए जोर लगा रहे हैं।जिले की सात विधानसभा सीटों में से अभी भाजपा और कांग्रेस के पास बराबर तीन-तीन सीटें हैं। जबकि एक सीट माकपा के पास है। भाजपा के लिए सुखद बात यह है कि मौजूदा तीनों सीटों नोखा, लूणकरनसर और बीकानेर पूर्व में एन्टीइंकमबेंसी जैसा कुछ नहीं है। दूसरी तरफ कांग्रेस के कोलायत, बीकानेर पश्चिम और खाजूवाला के प्रत्याशियों के पास पांच साल सरकार में रहकर कराए विकास कार्य जनता में गिनाने के लिए हैं। लेकिन विरोध की हवा हौवा भी खड़ा कर रही है। वहीं भाजपा में कोलायत में नए और युवा चेहरे, बीकानेर पश्चिम में हिन्दूवादी चेहरे और खाजूवाला में डॉक्टर की 'जनता डोज' का असर नजर आ रहा है।

खाजूवाला: जिप्सम और जमीन के इर्द-गिर्द

खाजूवाला वैसे तो सिंचित क्षेत्र होने से नहरी पानी बड़ा मुद्दा है। परन्तु यहां पर जिप्सम खनन का वैध और अवैध खनन तथा जमीनों के हेरे-फेर के ईर्दगिर्द चुनाव आकर खड़ा हो गया है। दोनों ही दलों में जिप्मस और जमीन से मालामाल होने वाले लोगों, गांवों और सामाजिक समूह अपने नफे-नुकसान के हिसाब से प्रत्याशियों के पास और दूर हो रहे हैं। यह दोनों मामले जातिगत समीकरण धराशायी करते दिख रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी केबिनेट मंत्री गोविन्द्र राम मेघवाल ने पूरी ताकत झोंक रखी है। दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी डॉ. विश्वनाथ मेघवाल के समर्थकों ने प्रत्याशी नहीं जनता का चुनाव का नारा प्रचारित किया है। इसके साथ ही तीसरे मोर्चे के प्रत्याशी अपने-अपने हिसाब से चुनाव को मोड़ने में जुटे हुए हैं।

कोलायत: विकास बनाम भविष्य की आस

कोलायत में चुनावी मुकाबला कांटे का है। दोनों दिग्गज परिवार देवीसिंह भाटी और भंवरसिंह भाटी भाजपा और कांग्रेस के सिम्बल पर आमने सामने है। हनुमान बेनीवाल की रालोपा ने कांग्रेस के बागी रेवंतराम मेघवाल को मैदान में उतारकर बड़ा दाव चल दिया है। भंवरसिंह ने विकास कार्यों को चुनाव में मुद्दा बनाया है। दूसरी तरफ देवीसिंह भाटी के पौते अंशुमान सिंह के युवा और नए चेहरे ने लोगों को प्रभावित किया है। वह सुनहरे भविष्य की आस लोगों को दिखा रहे हैं। यहां भी चुनाव में पर्दे के पीछे बजरी खनन ही बड़ा प्रभाव डाल रहा है। अवैध खनन और रॉयल्टी वसूली के चलते भ्रष्टाचार को चुनाव में हवा दी जा चुकी है। भंवरसिंह को जीत की हैटि्रक लगाने में पसीना आ रहा है।

लूणकरनसर: चारों कोनों से बराबर दूरी पर जीत

हर बार परिणाम से चौंकाने वाली लूणकरनसर सीट इस बार फिर चुनावों में चौंकाने वाले परिणाम देने की तरफ बढ़ गई है। भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ दोनों के एक-एक मजबूत बागी चुनाव के केन्द्र में है। यह प्रत्याशी चुनाव मैदान के कोनों पर खड़े हैं। निर्दलीय प्रभुदयाल सारस्वत व वीरेन्द्र बेनीवाल की ताकत के चलते यहां दोनों पार्टी अपने किसी बड़े नेता को सभा या रोड शो के लिए भेजने से बच रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी अपने कुनबे को सेंध लगने से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी युवा सोच के बलबूते पार्टी के वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने में जुटे हैं। इलाका विकास के मामले में सबसे पिछड़ा होने के बावजूद चुनाव में मुद्दों की जगह गुटों की लामबंदी भारी पड़ रही है।

बीकानेर पूर्व: अनवरत जीत बनाम बदलाव की उम्मीद

बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में भाजपा जीत की हैटि्रक पिछले चुनाव में लगाकर खतरनाक बिन्दू को पार कर चुकी है। इस बार लगातार चौथी जीत की तरफ बढ़ रही सिदि्ध कुमारी का मुकाबला कांग्रेस के यशपाल गहलोत से है। भाजपा इस सीट को लेकर निश्चिंत नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस बदलाव की उम्मीद जनता से लगा रही है। हर बार चुनाव में हार-जीत का कम हो रहा अंतर कार्यकर्ता को ऊर्जा देने का काम कर रहा है। आरएलपी प्रत्याशी मनोज बिश्नोई मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे है।

बीकानेर पश्चिम: हवा बदल रहा तो कोई रुख रोक रहा

यहां पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रोड शो होने के बाद भी कांग्रेस और भाजपा में मुकाबला कांटे का बना हुआ है। लगातार दस चुनाव लड़ने का अनुभव और विकास कार्यों की बदौलत कांग्रेस प्रत्याशी बी.डी. कल्ला मजबूती से मैदान में डटे है। भाजपा का हिंदूवादी चेहरा जेठानंद व्यास हवा का रुख अपने पक्ष में करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे है। कल्ला इन्हें बेअसर करने के लिए इसी माटी में जन्मा जाया से लेकर विद्धवान हिन्दू होने की ढाल से रोकने का जतन करते देखे जा रहे है। धर्म के आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद में भाजपा है। पुराने शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था, बिजली के तारों के जाल से मुक्ति का इंतजार और नए विकसित हिस्से में मूलभूत सुविधाओं की दरकार के साथ रेलवे फाटकों की समस्या मतदाता के मन मस्तिष्क में है।

श्रीडूंगरगढ़: कांटे का त्रिकोणीय मुकाबला

श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कुओं से सिंचाई में किसानों की परेशानियां हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में मुद्दा है। किसानों का बड़ा तबका वोटर है और निर्णायक भूमिका भी निभाता है। भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों को मौका देने के बाद भी समाधान नहीं निकला तो पिछली बार माकपा को भी आजमा लिया। परेशानी जस की तस है और पार्टियां भी आजमाई हुई। यही वजह है कि तीनों की ग्रामीण अंचल की सभाओं में बराबर भीड़ जुट रही है। वोटर सबकी सुन रहा है और अपना निर्णय मुखर होकर देने की बजाए इस बार ईवीएम में देने की सोचे बैठा है। यहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा रोड शो कर चुके है। कांग्रेस और माकपा प्रत्याशी अपने-अपने बलबूते पर जुटे हुए हैं। तीनों पुराने चेहरे हैं।

नोखा: चुनाव को बनाया सहानुभूति बनाम सनातन

नोखा विधानसभा क्षेत्र के वोटरों ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज रामेश्वर डूडी को हराकर सबको चौंका दिया था। इस बार डूडी की पत्नी सुशीला डूडी मैदान में और मुकाबला भाजपा के बिहारीलाल बिश्नोई से ही है। परन्तु इसे निर्दलीय प्रत्याशी ने त्रिकोणीय बना रखा है। भाजपा ने यहां पर योगी आदित्यनाथ की सभा के साथ पूरी ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस नामांकन के समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सभा का असर पन्द्रह दिन बाद वोटिंग होने तक रहने की आस लगाए बैठी है। निर्दलीय प्रत्याशी शहर की सरकार के विकास के बलबूते जनता के सामने दोनों पार्टियों से इतर विकल्प रख रहे हैं। मुद्दे यहां भी नवली गेट पर यातायात की परेशानी से लेकर नहरी मीठे पानी के घरों के नल तक पहुंचने जैसे कई हैं।

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