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Rajasthan News: राजस्थान के लाल को 31 साल बाद क्यों मिला शहीद का दर्जा? भावुक हुए परिजन, जानें

बीएसएफ जवान जेठाराम बिश्नोई के परिवार को 31 साल बाद शहीद का दर्जा मिलने पर गांव में हर किसी की आंखें नम हो गई। शहीद सम्मान-पत्र देख उनकी पत्नी और बेटे की आखों के आंसू छलक पड़े।

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BSF jawan Jetharam Bishnoi

Bikaner News: बीकानेर। जिले के बज्जू उपखंड के गांव मिठड़िया के सीमा सुरक्षा बल की 109वीं वाहिनी के जवान जेठाराम बिश्नोई के परिवार को 31 साल बाद अब शहादत प्रमाण-पत्र मिला है। जेठाराम वर्ष 1993 में पश्चिम बंगाल में पानीतार पोस्ट पर ड्यूटी करते समय नदी में गिरने से शहीद हो गए थे।

बीएसएफ यूनिट बीकानेर के एन.आर. भार्गव ने मिठड़िया गांव पहुंचकर शहीद जेठाराम की पत्नी भंवरी देवी व पुत्र हंसराज बेनीवाल को शहीद सम्मान-पत्र सौंपा। शहीद के परिवार को तीन दशक बाद सम्मान मिलने पर परिजन व ग्रामीण भावुक हो गए। शहीद सम्मान-पत्र देख उनकी पत्नी और बेटे की आखों के आंसू छलक पड़े।

मांग पूरी होने में निकल गए तीन दशक

उनके परिजन लंबे समय से जेठाराम बिश्नोई को शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे थे। लेकिन, परिजनों की इस मांग को पूरा होने में तीन दशक लग गए। अब जेठाराम के परिवार को शहीद के रूप में मिलने वाला लाभ भी मिल सकेगा। मांग पूरी होने के बाद परिजन खुश भी है। वहीं, जेठाराम बिश्नोई को याद कर उनके आसूं निकल पड़े।

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यह हुई थी घटना

मिठड़िया निवासी बीएसएफ जवान जेठाराम बिश्नोई पश्चिम बंगाल में पानीतार पोस्ट पर तैनात थे और 15-16 दिसम्बर 1993 की मध्य रात को जेठाराम व अन्य जवानों को इच्छामती नदी पर नाव से पेट्रोलिंग डयूटी के लिए भेजा। इस दौरान नाव पलटने से जेठाराम शहीद हो गए थे।


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