
नगर निगम बोर्ड की 11 फरवरी को हुई सधारण सभा में दो प्रस्तावों पर लिए गए निर्णय को स्वायत्त शासन विभाग (डीएलबी) ने निरस्त कर दिया है। विभाग के निदेशक एवं संयुक्त सचिव पवन अरोडा ने बुधवार को इस संदर्भ में आदेश जारी किए।
निदेशक की ओर से निगम आयुक्त को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि निगम बोर्ड की 11 फरवरी को हुई सभा में बिन्नाणी बिल्डिंग को सील करने और अधिकारियों-कर्मचारियों को एपीओ करने के प्रस्ताव पर लिए गए निर्णय जनहित में नहीं है।
बोर्ड बैठक में एजेण्डे के बाहर जाकर पारित दोनों निर्णय विधिक प्रावधानों के प्रतिकूल होने से राजस्थान नगर पालिका अधिनियम-2009 की धारा 49 (4) की शक्ति को प्रयोग करते हुए निरस्त किए गए हैं। अरोडा ने पत्र में बताया कि राज्य सरकार के आदेश के बिना किसी अधिकारी या कर्मचारी को एपीओ किया जाना विधिपूर्ण नहीं है।
ये थे प्रस्ताव
साधारण सभा में भाजपा पार्षदों की ओर से कोयला गली स्थित बिन्नाणी बिल्डिंग को सील करने तथा निगम अधिकारियों-कर्मचारियों को एपीओ करने संबंधित प्रस्ताव सदन में रखकर निर्णय किया गया था। इस दौरान सदन में हंगामा भी हुआ। एपीओ के विरोध में निगम कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया और महापौर से लिखित समझौते के बाद ही काम पर लौटे थे।
महापौर कमजोर साबित
सदन में पारित प्रस्ताव को डीलबी की ओर से नकारा जाना इस बात का संकेत है कि प्रदेश में जनप्रतिनिधियों पर ब्यूरोक्रेसी हावी है। सदन से ऊपर डीएलबी नहीं है। महापौर सदन के निर्णय की सरकार तक सही ढंग से पैरवी नहीं कर पाए व कमजोर साबित हुए हैं। विडंबना है कि डीएलबी ने बोर्ड बैठक में लिए निर्णय को ठुकरा दिया है। महापौर को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
जावेद पडि़हार, नेता प्रतिपक्ष
ली जाएगी जानकारी
सदन में किए गए दो निर्णयों को डीएलबी की ओर से निरस्त किए जाने संबंधित कोई जानकारी मुझे नहीं है। इसकी जानकारी ली जाएगी। निदेशक से इस संदर्भ में पता किया जाएगा।
नारायण चोपड़ा, महापौर, नगर निगम बीकानेर
Published on:
15 Mar 2018 09:25 am
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