
camel milk
बीकानेर राष्ट्रीय ऊष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में ऊँटों की मानवीय रोगों के निदान/प्रबंधन में भूमिका सिद्ध करने के लिए देश के महत्वपूर्ण अनुसंधान केन्द्रों के साथ समन्वयात्मक परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है। ऊंट का दूध औषधीय गुणों से युक्त और पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। ऊंट के दूध से मानवीय रोगों में प्रतिरोधकता हासिल हो सकती है। ऊँटों की संख्या कैसे घट रही है? इसका क्या विकल्प है? इसके कौने-से अनछुए पहलू हैं जैसे प्रश्नों पर चिंतन किया जाना जाए। यह बात सोमवार को उष्ट्र एवं मानव औषधि विषयक परिचर्चा के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने कही। मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ.एच.रहमान, ने कहा कि ऊँट में विद्यमान विलक्षणताओं को अनुसंधान की कसौटी पर खरा उतारते हुए ऊँट पालकों को लाभ पहँुचाया जाए। उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल ने कहा कि ऊँटों के विभिन्न पहलुओं पर जिसमें ऊँटों की प्रतिरक्षा (एंटीबॉडीज्) को लेकर बार्क, मुम्बई में थाईराईड कैंसर की जांच के लिए किट तैयार की गई है। ऊँटनी के दूध का ऑटिज्म रोग में प्रभाव पर शोध परिणामों की जानकारी दी। मधुमेह रोग के प्रबंधन मेडिकल कॉलेज, बीकानेर के साथ अनुसंधान कार्यों को गति दी जाएगी।ऊँट के रक्त से सर्प विषरोधी दवा का विकास (एंटीस्नैक विनोम) पर अब तक प्राप्त परिणामों व प्रगति का प्रस्तुतीकरण किया जाएगा। डॉ.बी.एन.त्रिपाठी, डॉ.एस.एम.के. नकवी ने ऊँट में विद्यमान विशेषताओं के म²ेनजर ऊंट को रेगिस्तान के पूरक बताया। डॉ.ए.के.गहलोत, कुलपति, राजुवास, ने कहा कि ऊँटों की संख्या तेजी से घट रही हैं, अत: इस पर विराम लगाने के लिए कोई वैकल्पिक मार्ग तलाशा जाना चाहिए। भाभा एटोमिक रिसर्च सेन्टर, मुम्बई के डॉ. एम.जी.आर राजन ने भी अपने विचार रखे।
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