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पत्नी उधार लेकर कैंसर मरीज पति का करवा रही उपचार

अखंड रहे सुहाग - मेड़ता सिटी निवासी गणपत का आचार्य तुलसी कैंसर रिसर्च सेंटर में चल रहा उपचार घर में आय का कोई जरिया नहीं, पत्नी शारदा दिन रात सेवा में जुटी

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पत्नी उधार लेकर कैंसर मरीज पति का करवा रही उपचार

पत्नी उधार लेकर कैंसर मरीज पति का करवा रही उपचार

विमल छंगाणी - बीकानेर. न सजने संवरने का सामान और ना ही व्रत के पारणा के लिए आवश्यक सामग्री। पति जल्द स्वस्थ हो, इसी कामना को लेकर व्रतधारी शारदा बुधवार को आचार्य तुलसी कैंसर अस्पताल के बाहर स्थित शिविर में दिनभर अपने पति गणपत के सिरहाने बैठकर सेवा में जुटी रही। कभी पानी पिलाती तो कभी चाय। अपने पति के सिर पर बार-बार हाथ फेरते हुए शारदा की आंखें आंसुओं से डबडबाती रही। किसी को उसके दर्द का अहसास न हो इसलिए कभी अपने चेहरे को साड़ी के पल्लू से ढकने का प्रयास करती तो कभी सिर को झुकाकर अपनी पति को निहारती रही। मेडता सिटी से बीकानेर पहुंची शारदा ने बीमार पति के पास अस्पताल में रहकर तीज का व्रत रखा। रात को चन्द्रमा के उदय होने के बाद व्रत का पारणा किया।

एक रुपए की आय नहीं

मेडता सिटी के रेगर मोहल्ला वार्ड संख्या 38 निवासी गणपत करीब एक साल से गले में कैंसर की बीमारी का उपचार करवा रहा है। पत्नी शारदा ने बताया पहले कुछ महीने अहमदाबाद में उपचार करवाया। फायदा नहीं होने पर बीकानेर आए। शारदा के अनुसार गणपत चप्पल बनाने का काम जानते है। बीमार होने के बाद से काम बंद पड़ा है। घर में एक रुपए की भी आय नहीं है। घर-परिवार और जान पहचान वालों से रुपए उधार लाकर पति का उपचार करवा रही है।

रैन बसेरे में आसरा

शारदा उपचार के दौरान कैंसर अस्पताल के बाहर श्रीकृष्ण सेवा संस्थान की ओर से संचालित किए जा रहे कैंसर रैन बसेरे में रहती है। रैन बसेरे से उसे काफी मदद मिली है। शाम का खाना यहां उपलब्ध हो जाता है, सुबह पांच रुपए भोजन व्यवस्था से भोजन की व्यवस्था करती है।

योजनाओं का लाभ नहीं

गणपत और शारदा का परिवार आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है। गणपत की मजदूरी बंद हो गई है। शारदा गृहिणी है। इनके एक छोटा बच्चा दिव्यांशु भी है, जो कक्षा सात में पढ रहा है। शारदा बताती है किसी भी सरकारी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है। कुछ दवाईयां अस्पताल में मिल जाती है, कुछ बाहर से लानी पड़ती है।

हिम्मत बेमिसाल

कैंसर रैन बसेरे की व्यवस्थापिका किरण सोनी बताती है कि शारदा अपने पति की सेवा में दिन -रात जुटी रहती है। उपचार के लिए वह भाग दौड़ करती रहती है। शारदा अपने पति की बीमार से कई बार मायूस जरूर हो जाती है लेकिन, उसकी हिम्मत बेमिसाल है।