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कांस फिल्म फेस्टिवल में पहली राजस्थानी फिल्म ‘Omlo’ का प्रदर्शन, गांव धोलिया सहित पूरे श्रीडूंगरगढ़ में खुशी से झूमे लोग

First Rajasthani Film Omlo : राजस्थान के लिए कांस फिल्म फेस्टिवल से आई बड़ी खुशखबरी। पहली राजस्थानी फिल्म ‘ओमलो’ का कांस फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन किया गया। इस फ़िल्म का प्रीमियर प्रदर्शित होने के बाद राजस्थान के गांव धोलिया सहित पूरे श्रीडूंगरगढ़ अंचल में उत्साह का माहौल छा गया।

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Cannes Film Festival First Rajasthani Film Omlo Screened Dholia village whole Sridungargarh People Rejoiced

File Photo

संजय पारीक
Rajasthan Good News :
किसी जमाने में श्रीडूंगरगढ़ के सुनहले धोरे बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं के लिए पसंदीदा स्थान हुआ करते थे। यहां के धोरों पर लैला-मजनूं, ऐलान ए जंग सहित कई बॉलीवुड फिल्मों के दृश्य भी फिल्माए गए हैं, लेकिन बदलते दौर में श्रीडूंगरगढ़ अपने सुनहले धोरों की विरासत खो चुका है। तहसील के गांव धोलिया में बनी राजस्थानी फिल्म ‘ओमलो’ के कारण अब एक बार फिर से श्रीडूंगरगढ़ का नाम फिल्मी दुनिया के रुपहले पर्दे पर वापस आया है। तपते धोरों और पानी की किल्लत के लिए पहचाना जाने वाला धोलिया गांव मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक उठा। गांव धोलिया में बनी फिल्म ओमलो का प्रीमियर मंगलवार को कांस इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में हुआ। इसके साथ फिल्म ओमलो को कांस फेस्टिवल में प्रदर्शित होने वाली पहली राजस्थानी फिल्म की उपलब्धि हासिल हुई है। फ़िल्म का प्रीमियर प्रदर्शित होने के बाद गांव धोलिया सहित पूरे श्रीडूंगरगढ़ अंचल में उत्साह का माहौल छा गया।

ग्रामीणों ने निभाए किरदार

पूरी फिल्म की शूटिंग धोलिया गांव में ही हुई। करीब 2 वर्ष पहले पूरी हुई फिल्म ओमलो में श्रीडूंगरगढ़ के हरि मोदी सहित मुख्य किरदार ओमलो बालक के साथ उसके दोस्त की भूमिका में काम करने वाला बालक धोलिया का रामदेव सिंवल है। ओमलो की बहन का प्रभावी रोल निभाने वाली गांव की बालिका शिवानी गढ़वाल, ठेके के मालिक की भूमिका में गांव के रामूराम गोदारा, सरपंच की भूमिका में रामरख सारण सहित सुरेश गोदारा, मघाराम सहू व गांव की कई महिलाओं ने काम किया है। प्रोडक्शन का पूरा काम गांव के ही युवा सुभाष गोदारा ने किया। फिल्म में तीन दशक से भी अधिक समय से रंगमंच से जुडे बीकानेर के रमेश शर्मा के साथ रंगनेत्री मीनू गौड़ ने अभिनय किया है। 2 वर्ष बाद मंगलवार को गांव सहित अंचल में फिल्म की शूटिंग की चर्चा व किस्से जीवंत हो गए।

संसाधनों एवं व्यवस्था में सहयोग ने मन मोहा

गांव के बुजुर्ग रामूराम गोदारा ने बताया कि गांव के किसी कलाकार ने कोई मेहनताना नहीं लिया। फ़िल्म की शूटिंग के दौरान गांव के सरल व सहज जीवन और लोगों ने फिल्म निर्माताओं का भी मन मोह लिया। ग्रामीणों के सहयोग से टीम भी प्रभावित हुई। युवा सुभाष गोदारा ने बताया कि शूटिंग में काम आने वाली गाड़ी, बकरियां, ऊंट व अन्य व्यवस्थाओं के लिए करीब 2 लाख रुपए की आमदनी भी गांव में हुई।

कलाकारों में जोश

श्रीगंगानगर की संस्था माई यूथ फाउंडेशन की ओर से हरे कृष्णा पिक्चर्स के बैनर तले बनी राजस्थानी आर्ट फिल्म ‘ओमलो’ का मंगलवार को फ्रांस के कान शहर में आयोजित कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर प्रदर्शन किया गया। राजस्थानी भाषा की पहली फिल्म कांस में प्रदर्शित हुई। इससे रंगमंच और राजस्थानी फिल्म कलाकारों में नए जोश का संचार हुआ है। इस आर्ट फिल्म के निर्देशक मुंबई के रणदीप चौधरी व आर्ट डायरेक्टर यतीन राठौड़ है।

फ़िल्म ओमलो : बच्चे व ऊंट के बीच भावनात्मक रिश्ते की कहानी

फ़िल्म ओमलो की कहानी एक सात साल के बच्चे और एक ऊंट के बीच के अनूठे एवं भावनात्मक रिश्ते को दर्शाती है। यह फिल्म पारिवारिक हिंसा की दुखद सच्चाई को एक नए रूप में सामने लाती है। इस फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसे एक बच्चा अपने पिता की ओर से सहन किए दर्द और भय को जीता है। फिल्म की शक्ति इस भावनात्मक रिश्ते में है, जो ऊंट और बच्चे के बीच विकसित होता है। फिल्म में स्त्रियों की पीड़ा, टूटती उम्मीदें और एक मां की खामोश प्रार्थना को चित्रित किया गया है। इसमें वह अपने बेटे से यह उम्मीद करती है कि वह इस चक्र को तोड़ सके। फिल्म संदेश देती है कि कभी कभी इंसान से भी ज्यादा संवेदनशीलता जानवरों में होती है।

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