
water pond
बीकानेर जिले में अब तक विभिन्न योजनाओं में लोगों के खेत-ढाणियों में 40 हजार टांके बने हुए हैं। इससे बारिश से खेती के दौरान ढाणियों में रहने वाले काश्तकारों को पेयजल उपलब्ध हो जाता है।
वर्षा आधारित खेती करने वाले ग्रामीण परिवार चौमासे (बारिश) के दौरान खेती के लिए खेतों-ढाणियों में रहने लगते हैं। इस दौरान इन परिवारों को वर्षा जल संचयन के लिए बने टांकों में पानी भर जाता है।
यह पानी काश्तकार परिवारों और उनके पशुओं को चार माह तक पीने के काम आता है। जलकुण्ड, डिग्गी और टांके मरुस्थलीय इलाके के लिए वरदान साबित हुए हैं।
जलग्रहण परियोजना के अधीक्षण अभियंता सुख लाल मीणा ने बताया कि रेगिस्तानी इलाके में ये जलकुण्ड, टांके उपयोगी साबित हो रहे हैं। पहले काश्तकार ऊंट गाड़ों पर खेतों में पीने का पानी लाते थे। गांवों में जलग्रहण कमेटियां अब सर्वाधिक महत्व जलकुण्ड और टांकों को देती है।
उन्होंने बताया कि अब जलग्रहण परियोजना के स्थान पर बनी नई प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में जलग्रहण को जोड़ा गया है। जिला कलक्टर ने रविवार को जलग्रहण योजना में बने जलकुण्डों का रविवार को निरीक्षण भी किया।
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