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छोटे-छोटे व्रत के माध्यम से अपनी कमियों व दोषों को करें दूर

चातुर्मासिक चतुर्दशी से सर्वमंगलमय वर्षावास (चौमासी पर्व ) विभिन्न तपस्याएं, प्रतिक्रमण,सामयिक,प्रभु पूजा, नवकारसी, देववंदन व परमात्म की आराधना के अनुष्ठान शुरू हुए।

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बीकानेर. आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर आदि ठाणा 18, साध्वी विजय प्रभा, साध्वी प्रभंजना आदि ठाणा 4 के सानिध्य में शनिवार को चातुर्मासिक चतुर्दशी से सर्वमंगलमय वर्षावास (चौमासी पर्व ) विभिन्न तपस्याएं, प्रतिक्रमण,सामयिक,प्रभु पूजा, नवकारसी, देववंदन व परमात्म की आराधना के अनुष्ठान शुरू हुए।आचार्य जिन पीयूष सागर सूरीश्वर ने ढढ्ढा चौक में प्रवचन में कहा कि वर्षावास में धर्म, ध्यान, साधना, आराधना व देव गुरु की भक्ति करें। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन देव पूजन वंदन, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान व परोपकार के कार्य करें। उन्होने कहा कि छोटे-छोटे व्रत के माध्यम से अपनी कमियों व दोषों को दूर करें । पापों से बचे तथा पुण्यों का अर्जन करें।

मुनि सम्यक रत्न ने कहा कि जैन धर्म के सभी सिद्धान्त, नियम, परमात्मा व गुरुवाणी कल्याणकारी व मोक्ष प्रदायनी है।श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि श्रावकों का प्रतिक्रमण ढढ्ढा चौक के कोठारी भवन में व श्राविकाओं का रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में शाम को छह बजे सामूहिक प्रतिक्रमण होगा। रविवार प्रवचन पांडाल में गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि चातुर्मासिक चतुर्दशी व गुरु पूर्णिमा पर आचार्यश्री के दर्शन वंदन करने के लिए देश के विभिन्न स्थानों से श्रावक-श्राविकाएं बीकानेर पहुंचे है।