
मौत के घंटों बाद भी शव को नसीब नहीं होती मिट्टी
केस एक :- चूनगरान मोहल्ले के ६२ वर्षीय व्यक्ति की मौत शाम को हो गई। उसके शव अगले दिन ११ बजे बाद शमशान के लिए रवाना किया गया। स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों का पसीने छूट गए।
केस दो :- नौ जून को पीबीएम के संगीता नाम की महिला की शाम को पौने सात बजे मौत हो गई। इससे कोरोनो संदिग्ध के चलते उसकी जांच कराई लेकिन जांच रिपोर्ट १४ घंटे बाद मिली। रिपोर्ट नेगेटिव आई। ऐसे में १५ घंटे बाद शव परिजनों को सपुर्द किया गया।
बीकानेर। कोरोना काल में मौत के बाद भी शुकून से मिट्टी नसीब नहीं हो रही। मौत के घंटों बाद तब शव लावारिस की तरह पड़ रहता है। परिजन शव का इंतजार करते है तो प्रशासन को उसका निस्तारण कराने में पसीने छूट रहे हैं। हकीयत यह है कि कोरोना मरीज की मौत होने के बाद शव काफी समय तक वार्ड में पड़ रहता है। इसके शव को निस्तारण करने में घंटों का समय लग रहा है। समय पर अटेंडेंट नहीं पहुंचते तो कभी मोर्चरी वेन नहीं मिलती। हालात यह होती है कि मोर्चरी वैन के अभाव में शव को कभी-कभार १०८ एम्बुलेंस में ले जाना पड़ता है।
सामान्य मौत पर भी...
पीबीएम अस्पताल में सामान्य मौत होने के बाद भी शव को लेने में परिजनों के पसीने छूट जाते हैं। कोरोना रिपोर्ट नहीं आने तक शव को परिजनों के सुपुर्द नहीं किया जाता है। कोरोना जांच और शव सुपुर्द करने में १२ से १५ घंटे का समय लग जाता है। सामान्य मौत पर शव को परिजनों के सुपुर्द करने में बेवजह हो रही देरी पर सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए रिपोर्ट दो से तीन घंटे में देने के निर्देश दिए। इसके बावजूद बीकानेर में सामान्य मौत के बाद भी परिजनों को शव सात-आठ घंटे बाद मिल रहा है।
१०८ में शव ले जाने पर सरकार ने लगाई रोक
कोरोना से मौत के बाद पहले आपातस्थिति में मोर्चरी वैन उपलब्ध है। इसके बावजूद कई बार १०८ एम्बुलेंस में शव को ले जाते है। इस पर सरकार ने १०८ एम्बुलेंस में शव ले जाने पर रोक लगा दी है। अब मोर्चरी वैन से ही शव ले जाया जाता है। यह व्यवस्था इस सप्ताह ही शुरू हुई है। १०८ एम्बुलेंस बीकानेर के प्रोजेक्टर मैनेजर नरेश कुमार गुप्ता बताते हैं कि अब तक आपातस्थिति में मानवता के नाते १०८ एम्बुलेंस गाड़ी में शव को शमशान घर तक ले जाते थे। यह जीवन वाहिनी वाहन है। इसलिए अब सरकार ने इसमें शव ले जाने पर रोक लगा दी है।
कोई नहीं सुनता हमारी
एक अधिकारी ने बताया कि पीबीएम अस्पताल में कोरोना मरीज की मौत होने पर बहुत परेशान होना पड़ता है। न अटेंडेंट समय पर मिलते है और ना ही मोर्चरी वैन आती है। अस्पताल अधिकारियों को बताते हैं तो वह भी सुनवाई नहीं करते। ऐसे में शव को शिफ्ट कराने से लेकर अंतिम संस्कार कराने में बहुत परेशान होना पड़ता है।
अतिरिक्त अटेंडेंट की व्यवस्था की
कोरोना मरीज की मौत के बाद शव शिफ्टिंग में समस्या आ रही थी। इस समस्या का समाधान कर दिया गया है। अब कोरोना शव के शिफ्टिंग व अंतिम संस्कार में सहयोग के लिए दो अटेंडेंट की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। अब से दो अटेंडेंट दिन में और दो रात में मौजूद रहेंगे। शव ले जाने के लिए एक मोर्चरी वाहन है अब एक एम्बुलेंस की व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से की जा रही है।
डॉ. मोहम्मद सलीम, अधीक्षक पीबीएम अस्पताल
Published on:
25 Jun 2020 08:27 am
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