
मशरूम की खेती: फोटो पत्रिका
बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय में पादप रोग विज्ञान विभाग को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 74.95 लाख रुपए की परियोजना स्वीकृत हुई है।
इसका उद्देश्य मशरूम उत्पादन और उसके मूल्य संवर्धित उत्पादों को बढ़ावा देना है। परियोजना के तहत किसानों को मशरूम की खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारी दी जाएगी। बीकानेर व आसपास के क्षेत्रों में किसानों को प्रशिक्षण देकर मशरूम की खेती के प्रति जागरूक किया जाएगा।
मशरूम की खेती कम भूमि और जल में संभव है। इसे नियंत्रित वातावरण में किया जा सकता है, जिससे यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से सुरक्षित रहती है। यह टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल कृषि विकल्प है।
परियोजना के तहत बटन (16 डिग्री सें.), ढींगरी (25 डिग्री सें.) और दूध छत्ता मशरूम (35 डिग्री सें.) की खेती सिखाई जाएगी।
बटन और ढींगरी की खेती सितंबर से मार्च, जबकि दूध छत्ता की खेती मार्च से सितंबर तक की जा सकती है। परियोजना के अंतर्गत मशरूम से बने उत्पाद जैसे पापड़, भुजिया, कटलेट, बड़ी, पकौड़ेआदि के निर्माण और विपणन का प्रशिक्षण भी किसानों और युवाओं को दिया जाएगा।
विश्वविद्यालय की ओर से इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को मशरूम प्रोडक्शन तकनीक, बीज उपलब्धता के साथ-साथ मूल्य संवर्धित उत्पाद तैयार करने केलिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भूमिहीन किसानों के लिए कम स्थान पर मशरूम उत्पादन तकनीक का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मशरूम के मूल्य संवर्धित उत्पाद प्रशिक्षण से क्षेत्र के किसान आय सृजन के इस नवाचार का प्रत्यक्ष लाभ ले रहे हैं।
-डॉ. अरुण कुमार,कुलगुरु एसकेआरएयू
Updated on:
15 Jul 2025 03:17 pm
Published on:
15 Jul 2025 03:16 pm
बड़ी खबरें
View Allबीकानेर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
