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घर-घर धींगा गणगौर का पूजन, उत्सव की पूर्णाहुति

गणगौर प्रतिमाओं के आगे विविध व्यजंनो का भोग अर्पित, गणगौरी गीतों का हुआ गायन  

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घर-घर धींगा गणगौर का पूजन, उत्सव की पूर्णाहुति

घर-घर धींगा गणगौर का पूजन, उत्सव की पूर्णाहुति

बीकानेर. पन्द्रह दिवसीय धींगा गणगौर पूजन उत्सव की पूर्णाहुति गुरुवार को हुई। व्रत-पूजन करने वाली महिलाओं ने घरों में दीवारों पर चित्रित की गई धींगाा गणगौर की प्रतिमाओं का विविध पूजन सामग्रियों से पूजन कर आरती की और कथा सुनी। कुमकुम, केशर, रोली, धूप, दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, श्रीफल, प्रसाद आदि पूजन सामग्रियों से पूजन किया गया। महिलाओं ने सामुहिक रूप से पूजन कर गणगौर के पारम्परिक गीतों का गायन किया।

गणगौर प्रतिमाओं को धोती ओढ़ाने और पानी पिलाने की रस्म हुई। इस दौरान धींगा गवर, ईसर की प्रतिमाओं का पूजन कर खोळा भरने की रस्म हुई। धींगा गणगौर पूजन के साथ ही धुलंडी के दिन से चल रहे गणगौर पूजन उत्सव की पूर्णाहुति हुई। शुक्रवार को गणगौर प्रतिमाओं का खोळा भरने की रस्म के साथ विदाई दी जाएगी।

विविध व्यंजनों का भोग अर्पित
धींगा गणगौर पूजन उत्सव की पूर्णाहुति पर महिलाओं ने विविध व्यंजनों और खाद्य सामग्रियों के भोग गणगौर प्रतिमा के समक्ष अर्पित किए। इस दौरान पारम्परिक रूप से मीठा चणा, फीका चणा, मोटा भुजिया, पताशा, चूरमा अर्पित किया गया। वहीं विभिन्न प्रकार के बिस्किट, टॉफिया, आईसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, केशर दही लस्सी, बादाम व केशर शर्बत आदि अर्पित किए गए। व्रतधारी महिलाओं ने पूजन, आरती और गीत-नृत्यों के बाद व्रत का पारणा किया। इस दौरान घर-घर में पंधारी लड्डू, सांगरी सब्जी, दही रायता आदि विशेष रूप से बनाए गए।