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सजने लगी गणगौर, वस्त्र-आभूषणों की बिक्री बढ़ी

गणगौर उत्सव को लेकर शुरू हुई गणगौर की बिक्री

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सजने लगी गणगौर, वस्त्र-आभूषणों की बिक्री बढ़ी

सजने लगी गणगौर, वस्त्र-आभूषणों की बिक्री बढ़ी

बीकानेर. गणगौर उत्सव को लेकर घर-घर और दुकानों पर गणगौर प्रतिमाएं सजनी शुरू हो गई है। गणगौर को पारम्परिक वस्त्र और आभूषणों से सजाया जा रहा है। आर्टिफिशियल आभूषणों के साथ मोतियों से बने आभूषणों से गणगौर प्रतिमाएं सज रही है। चटक दार रंगो वाले घाघरा और ओढऩी पहनाकर जहां गणगौर को दुल्हन सा रूप दिया जा रहा है, वहीं ईशर प्रतिमाओं को राजस्थानी साफा, पाग, कलंगी से दुल्हे सा रूप दिया जा रहा है। घरों में महिलााएं और युवतियां पारम्परिक रूप से महात्मा समाज के लोग इस कार्य में जुटे हुए है। गणगौर प्रतिमाओं को रंगने का काम भी बड़े स्तर पर चल रहा है। वहीं नई प्रतिमाओं की भी बिक्री शुरू हो गई है।

कलात्मक सैट, मोतियों के हार
गवर प्रतिमाओं को कलात्मक पद्मावती और वीर जारा सैट के साथ मोतियों से बने हार से सजाया जा रहा है। वहीं पारम्परिक रूप से आर्टिफिशियल आभूषण रखड़ी,नथ, बाजूबंद, कंदोला, कंठा, बाली, चन्द्रहार, पायल, पाटला, मटरिया आदि आभूषण गवर को सजाने के दौरान पहनाए जा रहें है। गणगौर प्रतिमाओं को रंगने, सजाने के व्यवसाय से जुड़े आसू महात्मा ्पारम्परिक वस्त्र घाघरा, चुनरी से सजाया जा रहा है। ईशर प्रतिमाओं को शेरवानी, चूडीदार पायजामा, साफा, हार, कलंगी, तलवार, कटार के साथ सजाया जा रहा है।

बिक्री बढ़ी, बाहर जा रही प्रतिमाएं
गणगौर उत्सव के नजदीक आते-आते गणगौर प्रतिमाओं की बिक्री बढ़ गई है। इस व्यवसाय से जुड़े आसू महात्मा के अनुसार पिछले साल कोरोना के कारण यह व्यवसाय पूरी तरह ठप रहा था। इस बार बिक्री शुरू हो गई है। बीकानेर शहर व ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं बीकानेर में तैयार हुई गणगौर प्रतिमाएं कलकत्ता, चैन्नई, पूणे, मुम्बई, त्रिपुरा, उड़ीसा सहित देश के कई स्थानों पर बिक्री के लिए जा रही है। उन्होंने बताया गवर-ईशर प्रतिमाएं प्रति जोड़ा एक हजार रुपए से पांच हजार रुपए तक की कीमत में बिक रहे है।

29 से शुरू होगा गणगौर उत्सव
गणगौर उत्सव का आगाज 29 मार्च से होगा। होलिका दहन की राख से पिंडोलिया बनाकर बालिकाएं बाला गणगौर का पूजन करेंगी। उत्सव के क्रम में बारहमासा गणगौर और धींगा गणगौर के उत्सव होंगे। जूनागढ़, चौतीना कुआ, ढढ्ढा चौक, जस्सूसर गेट के अंदर, बारह गुवाड़ चौक आदि स्थानों पर गणगौर के मेले भरेंगे। जूनागढ़ से गणगौर की शाही सवारी निकलेगी। घर-घर और मोहल्लों में गणगौरी गीतों के आयोजन होंगे। 34 दिनों तक गणगौर पूजन उत्सव का आयोजन होगा।